ध्वनि तरंगों अनुदैर्ध्य तरंगें कहलाती हैं क्योंकि इन तरंगों में माध्यम के कणों का विस्थापन विक्षोभ के संचरण की दिशा के समांतर होता है। कण एक स्थान से दूसरे स्थान तक गति नहीं करते बल्कि अपनी विराम अवस्था से आगे-पीछे दोलन करते हैं तथा ध्वनि तरंगें इसी प्रकार संचरित होती हैं।