मनुष्य में मुख से गुदा द्वारे तक एक नली पाई में पित्त बाहिनी तथा अग्नाशयी नलिका संयुक्त रूप से जाती है इसे आहार नाल कहते हैं इसके प्रमुख भाग हैं-
1. मुखगुहा-दो जबड़ों (ऊपर व नीचे) के बीच तालू. जिव्हा व दाँत की रचनाओं के साथ भोजन का अंतर्रहण वाला भाग है।
2. ग्रसनी (Pharynx)-मुखगुहा आगे की ओर फनल के आकार की गुहा में खुलती है जिसे ग्रसनी कहते हैं यह लगभग 12 से.मी. लम्बी नलिका है।
3. ग्रासनली (Oesophagus)-ग्रासनली लगभग 2.5 से.मी. लम्बी एक नलिका होती है। यह ग्रसनी को आमाशय से जोड़ने का कार्य करती है इनकी दीवारों में श्लेष्मा का स्तरावण होता है। श्लेष्मा की उपस्थिति से भोजन आसानी से आमाशय तक सरक कर पहुँच जाता है।
4. अमाशय (Stomach)-यह आहार नाल की सबसे चौड़ी थैलीनुमा संरचना होती है जिनकी दीवारों में जठर ग्रंथियाँ पायी जाती हैं इनके द्वारा स्रावित जठर रस में प्रोटीन पाचक एन्जाइम पेप्सिन एवं रेनिन के साथ-साथ जठर म्यूसिन भी पाया जाता है इसमें HCL के उत्पादन के द्वारा भोजन के हानिकारक सूक्ष्म जीवों का विनाश भी करता है।
5. छोटी आँत (Small Intestine)- अमाशय में आंशिक रूप से पाचित भोजन एक सँकरी नली में आता है जिसे छोटी आँत कहते हैं इसकी लंबाई करीब 6-5 मीटर लम्बी नली में खुलती है जिसकी करीब 1.5 मीटर लम्बी होती है आँत में निम्न भाग पाये जाते हैं-
(अ) ग्रहणी (Duodenum)-यह U आकार की नली होती है जो करीब 20 सेमी. लम्बी संरचना वाली नलिका खुलती है।
(ब) इलियम (Ileum)- यह छोटी आँत का पिछला भाग है जिसकी लंबाई करीब 5.5 मीटर होती है जिसमें ऊँगली के समान प्रवर्ध पाये जाते हैं, जिन्हें विलाई या सूक्ष्मांकुर कहते हैं। इनके द्वारा पाचित भोजन का अवशोषण होता है।
(स) बड़ी आँत (Large Intestine) - इलियम एक होती है जिसे बड़ी आँत कहते हैं। इनके तीन भाग होते हैं-