(b) जल के अणुओं के बीच संसजक बल , जल - काँच के अणुओं के बीच आसंजक बलों से क्षीण होते है , अतः काँच के पृष्ठ पर जल फैलने का प्रयास करता है , जबकि पारे के अणुओं के बीच संसंजक बल , पारे - काँच के अणुओं के बीच आसंजक बलों से प्रबल होते है । अतः पारा काँच के पृष्ठ पर न्यूनतम क्षेत्रफल घेरने का प्रयास करता है , फलस्वरूप पारे की बूंदे गोलाकार हो जाती है ।
(c ) द्रव का पृष्ठ - तनाव , द्रव के पृष्ठ पर खींची गई काल्पनिक रेखा की प्रति एकांक लम्बाई पर लगने वाला बल है । चूँकि रेखा का कोई क्षेत्रफल नहीं होता , अतः द्रव का पृष्ठ - तनाव पृष्ठ के क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करता ।
(d) कपड़ो में महीन केशनलियों की भांति संकीर्ण छिद्र होते है । अपमार्जक को इन छिद्रों में प्रवेश करना होता है । अतः अतिरिक्त दाब `(2T)/R = (2 T cos theta)/r` का मान अधिक होना चाहिए ।
R = मिनिस्कस की त्रिज्या , r = केशनली की त्रिज्या , अतः `cos theta` का मान अधिक अथवा स्पर्श कोण `theta` का मान कम होना चाहिए । इसी कारण अपमार्जकों के स्पर्श कोण का मान कम होना चाहिए ।
(e) बाह्य बलों की अनुपस्थिति में , एक द्रव की बूँद पर केवल पृष्ठ - तनाव का बल लगता है । पृष्ठ - तनाव के गुण के कारण द्रव न्यूनतम क्षेत्रफल घेरने का प्रयास करता है । दिये गये आयतन के लिए गोले का पृष्ठ क्षेत्रफल न्यूतम होता है , अतः बाह्य बलों की अनुपस्थिति में द्रव की बूँद गोलाकार हो जाती है ।