Correct Answer -
झरने में जल का गिरना अनुक्रमणीय प्रक्रम है। झरने में गिरने वाले जल की स्थितिज ऊर्जा पूर्णतया गतिज ऊर्जा में परिवर्तित नहीं होती, इसका कुछ भाग धरातल पर टकराने से ऊष्मा में (तथा ध्वनि में भी) परिवर्तित होता है। यह क्षय ऊर्जा पुनः वापस नहीं मिल सकती।
जंग लगने से लोहा वायु द्वारा ऑक्सीकृत हो जाता है जो रासायनिक अनुत्रमणीय परिवर्तन है।
वैद्युत अपघटन लगभग उत्क्रमणीय है। वेधतु धारा की दिशा उलटने पर आयनों की गति उलट जाती है।
गर्म वस्तु से शीतल वस्तु में ऊष्मा का संचरण अनुल्रमणीय हैं, क्योंकि बिना किसी बाह्य सहायता के यह वापस गर्म वस्तु का स्थानान्तरित नहीं हो सकती।