भौतिक राशियों जैसे - लम्बाई , द्रव्यमान , समय आदि का परिशुद्ध मापन खगोलशस्त्र , नाभिकीय भौतिकी , क्रिस्टलोग्राफी तथा चिकत्सा विज्ञानं के विकास की मूल आवश्कताओ में से एक है । खगोलीय दूरियों जैसे - चन्द्रमा की पृथ्वी से दुरी का लेसर पुंज द्वारा मापन करने के लिए समय की परिशुद्धता से मापन की आवश्यकता होती है। समय के मापन में एक छोटी गलती चन्द्रमा की पृथ्वी की दूरी में बड़ी गलती उत्पन्न कर सकती है , जिसके कारण हम चन्द्रमा पर पहुंचने में असफल हो सकते है समय का यह मापन ` 10 ^(-9 )` सेकण्ड कोटि का है प्रमाणिक अथवा नाभिकीय क्रियाओ , नाभिकीय हथियारों तथा नाभिकीय ऊर्जा ग्रहो में द्रव्यमान एवं समय की परिशुध्ता से मापन की आवश्यकता होती है जिसकी कोटि `10 ^(-9 )` किग्रा तथा ` 10 ^(-9 )` सेकण्ड है इनमे एक छोटी - सी गलती एक भंयकर का कारण बन सकती है , जैसा की कुछ समय पूर्व जापान में हुआ था
चिकत्सा विज्ञान में शरीर में ट्यूमर ( जिसका आकर `10 ^(-9 )` मिटर कोटि का हो ) की स्थिति , आकार एवं द्रव्यमान का पता लगाने के लिए लम्बाई को परिशुद्धता से मापन की आवश्यकता होती है इसकी स्थिति , आकार एवं द्रव्यमान के मापन में छोटी - सी गलती लेसर थेरेपी में शरीर के किसी अंग को क्षतिग्रस्त कर सकती है ।