(a) हाँ बना सकते है । यदि समतल दर्पण तथा उत्तल दर्पण पर आपतित प्रकाश किरण अभिसरित हो अर्थात समतल दर्पण तथा उत्तल दर्पण आभासी बिम्ब के लिए वास्तविक प्रतिबिम्ब उत्पन्न क्र सकता है ।
(b) नहीं, इस घटना में कोई विरोधाभास नहीं है, क्योकि आभासी प्रतिबिम्ब आँख के लिए वास्तु का कार्य करता है, और हमारी आंख अभिसारी लेंस तरह कार्य करती है तथा रेटिना पर वास्तु का प्रतिबिम्ब बनाती है ।
(c) अधिक लम्बा दिखाई देगा, झील के भीतर गोताखोर द्वारा तिरछा देखने पर झील के तट पर खड़े मछुआरे का लम्बा आकार दिखाई देगा, क्योकि प्रकाश किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाती है ।
(d) हाँ परिवर्तित हो जाती है। तिरछा देखने से आभासी गहराई काम हो जाती है ।
(e) हीरे का अपवर्तनांक लगभग (2.42) होता है, जबकि काँच का अपवर्तनांक (लगभग 1.5) होता है । `(mu_("हीरा")gtmu_("काँच"))`
`because mu=(1)/(sini_(c))` जहाँ `i_(c)` क्रांतिक कोण है |
हीरे का क्रांतिक कोण `24^(@)` है इस तराशने वाला व्यक्ति आपतन कोण के बड़े परिसर `(24^(@)" से "90^(@))` के लिए तराशता है और हीरे के कई फलको से पूर्ण आंतरिक परावर्तन के पश्चात प्रकाश बाहर आता है, जिससे हीरा चमकता है ।