(i) यदि कैथोड के सापेक्ष ऐनोड का निरोधी विभव `V_(0)` हो, तो ऐनोड के सापेक्ष कैथोड का निरोधी विभव `+V_(0)` होगा । `+V_(0)` से ऊँचे कैथोड - विभव पर कोई धारा नहीं बहेगी । कैथोड का विभव घटाते जाने पर धारा बढ़ती जायेगी तथा कैथोड - विभव के ऋणात्मक हो जाने पर धारा अधिकतम (संतृप्त ) हो जायेगी । आपतित प्रकाश की तीव्रता बढ़ाने पर अधिकतम धारा उसी अनुपात में बढ़ जाएगी । अतः ग्राफ चित्र (a ) जैसे होगा ।
(ii) किसी दी गई आवृत्ति के प्रकाश के लिये , कैथोड के धन विभव को घटाने जाने पर धारा बढ़ती जायेगी तथा कैथोड विभव के ऋणात्मक हो जाने पर धारा अधिकतम ( संतृप्त ) हो जायेगी । प्रकाश की आवृत्ति बढ़ाने पर, कैथोड के निरोधी विभव `+V_(0)` का मान भी बढ़ जायेगा परन्तु संतृप्त धारा वही रहेगी । अतः ग्राफ चित्र (b ) चित्र होगा ।