तुम भारत, हम भारतीय हैं, तू माता हम बेटे किसकी हिम्मत है कि तुम्हें दुस्ता दृष्टि से देखे। ओ माता, तुम एक अरब से अधिक भुजाओं वाली सबकी रक्षा में तुम सक्षम हो अदम्य बलशाली। भाषा, देश, प्रदेश भिन्न है, फिर भी भाई-भाई, भारत की साझी संस्कृति में पलते भारतवासी सुदिनों में हम एक साथ हँसते, गाते, सोते हैं, दुर्दिन में भी साथ-साथ जागते, पौरुष धोते हैं। तुम हो शस्य श्यामला, खेतों में तुम लहराती हो, प्रकृति प्राणमयी साम-गानमयी, तुम न किसे भाती हो। तुम न अगर होती तो धरती वसुधा क्यों कहलाती? गंगा कहाँ बहा करती, गीता क्यों गाई जाती?