(i) क्रिस्टल में उपस्थित प्रबल स्थिर वैधुत आकर्षण बल अथवा सहसंयोजी बंधो की अधिक संख्या उसे अधिक स्थायित्व प्रदान करती है । क्रिस्टल जितना अधिक स्थायी होता है, उसका गलनांक उतना ही अधिक होता है ।
(ii) जल तथा एथिल ऐल्कोहॉल के अणु H-बंध द्वारा बंधे होते है । जल का गलनांक ऐल्कोहॉल से अधिक होता है, इससे प्रदर्शित होता है की जल में उपस्थित H-बंध ऐल्कोहॉल से से अधिक होते हैं । डाइएथिल ईथर का गलनांक मेथेन से अधिक है । डाइएथिल ईथर एक धुर्वीय अणु है तथा ईथर में उपस्थित अंतराअणुक आकर्षण द्विधुव-द्विधुव आकर्षण होता है । मेथेन एक अधुर्वीय अणु है तथा ठोस मेथेन में दुर्बल अंतराअणुक आकर्षण बल होता है ।