विवेकानन्द जी नई भारतीय पीढ़ी के युवकों से बहुत आशान्वित हैं। उन्हें पूरा विश्वास है कि नई पीढ़ी के युवक देश की प्रमुख सगर्याओं का समाधान करेंगे।
स्वामीजी कहते हैं कि हमारे भारत देश का घोर पतन हुआ है। देव और ऋषियों की करोड़ों संतानें पशुतुल्य हो गई हैं। आज भी देश के असंख्य लोग भूखों मर रहे हैं। देश में अज्ञानता पसरा हुआ है देश पराधीनता की बेडियों में सदियों से जकड़ा हुआ है। जिस कारण लोग अपना आत्मविश्वास खो बैठे हैं। देश को इस बदहाली से निकालने का कार्य नयी पीढ़ी के युवक/युवती ही कर सकते हैं। दीन-हीनों एवं पद-दलितों के उद्धार का साहस मैं कैवल युवकों में देख सकता हूँ। इन नवयुवकों को ही धर्म, नैतिकता एवं शिक्षा के प्रचार के माध्यम से नई जाग्रति लानी है। समाज को संगठित कर देश का नया निर्माण करना है।
स्वामीजी की इच्छा है कि हमारे नवयुवक विबिध धर्मों में बंटे देश को एक सूत्र में बाँधने का कार्य करें। अनेकता में बँटा देश एक हो, संगठित हो। यह कार्य हमारे नवयुवक देशवासियों में व्यापक जाग्रति लाकर हो कर सकते हैं।
इस प्रकार स्वामी विवेकानन्दजी ने देश की ज्वलन्त समस्याओं को हल करने के लिए युवाओं पर जिम्मेदारी सौंपी है। जिससे देश का पुनरुत्थान हो सके।