मूल ऊर्जा अवस्था में (n = 1 )
`therefore E = (-13*6)/(n^(2))eV = (-13*6)/(1^(2))eV`
`= 13*6eV`
अर्थात् इलेक्ट्रॉन को मूल अवस्था से निकालने के लिए `13*6eV` ऊर्जा की आवश्यकता होगी ।
(ii) प्रथम उत्तेजित अवस्था में (n = 2)
`therefore E = (-13*6)/(2^(2))eV = -3*4eV`
अर्थात् इलेक्ट्रॉन को प्रथम उत्तेजित अवस्था में निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा `3*4 eV` हैं जो मूल स्तर की ऊर्जा की कम हैं । अतः कथन सत्य हैं ।
(iii) ऊर्जा का ऋणात्मक मान यह दर्शाता हैं कि इलेक्ट्रॉन नाभिक से आवद्ध हैं कि इलेक्ट्रॉन नाभिक से आबद्ध होते हैं तथा इसे बाहर निकालने के लिए इतनी ही ऋणात्मक ऊर्जा बाह्रा स्त्रोत व्दारा आवश्यक होती हैं । दैनिक जीवन में भी यह कथन चरितार्थ होता हैं । जब कोई व्यक्ति अपने देश को छोड़कर बाहर जाना चाहता हैं तो उसका देश का कोई भी दायित्व अथवा लेन - देन शेष नहीं होना चाहिए । जब वह इसकी पुष्टि करवा लेता हैं उसके बाद ही उसे बाहर जाने की अनुमति प्राप्त होती हैं । यदि किसी व्यक्ति की ये देनदारियाँ (जैसे - इंकम , टैक्स , सेल टैक्स , लोन , कोर्ट का केस इत्यादि ) शेष रहती हैं तो वह देश छोड़ने के लिए स्वतंत्र नहीं होता हैं ।