अधिशोषक के सक्रियण का अर्थ है अधिशोषक की अधिशोषण शक्ति को बढ़ाना । यह अधिशोषक का प्रष्ट क्षेत्रफल बढाकर प्राप्त की जाती है । इस उद्देश्य के लिए निम्न विधियों का प्रयोग किया जाता है -
(i ) विभाजन द्वारा - किसी अधिशोषक का विभाजन करने से उसका प्रष्ट क्षेत्रफल बढ़ता है
(ii ) प्रष्ट को खुरदुरा बनाकर - किसी अधिशोषक की सतह को यांत्रिक रूप से रगड़कर खुरदरा बनाया जा सकता है इसके फलस्वरूप सतह पर शीर्ष तथा गर्त तथा बन जाते है तथा पृष्ट क्षेत्रफल बढ़ जाता है ।
(iii) अधिशोषित गैसों को पृथक कर - चारकोल को अति तप्त भाप में गर्म या निर्वात में 623 से 1273 K पर गर्म कर सक्रिय बनाया जा सकता है । इस क्रिया के द्वारा अधिशोषित गैसों पृथक हो जाती है तथा इसकी अधिशोषण क्षमता काफी सीमा तक बढ़ जाती है ।