(i) `Cr ^(2 +)` प्रबल ऑक्सीकारक होता है क्योंकि इसमें `3d ^(4 )` से `3d ^(3 )` का परिवर्तन निहित है। `3d ^(3 )` का परिवर्तन निहित है। `3d ^(3 )` विन्यास `(t _(2g )^(3 ))` अधिक स्थायी है। `Mn ^(3 +)` के ऑक्सीकारक गुणों में `3d ^(4 )` से `3d ^(5 ) ` का परिवर्तन होता है तथा `3d ^(5 ) ` अधिक स्थायी विन्यास है। यही कारण है की `Mn ^(3 +)` प्रबल ऑक्सीकारक है।
(ii) जटिलीकरण अभिकर्मकों की उपस्थिति में क्रिस्टल फील्ड स्थिरीकरण ऊर्जा ( CFSE ) कोबाल्ट की त्रितीय आयनन एन्थैल्पी से अधिक होती है। इस प्रकार Co (II) सरलता से Co (III) में ऑक्सीकृत हो जाता है।
(iii) वे आयन जिनमें `d ^(1 ) ` विन्यास होता है, वे d - उपकक्ष में उपस्थित इलेक्ट्रॉन को त्यागने की प्रवृत्ति रखते हैं तथा अधिक स्थायी `d ^(0 )` विन्यास प्राप्त कर लेते है। यह सरलता से संपन्न हो सकता है क्योंकि जलयोजन या जालक ऊर्जा का मान d - उपकक्ष से इलेक्ट्रॉन के पृथक्कीकरण में निहित आयनन एन्थैल्पी से अधिक होता है।