प्लेट की त्रिज्या (r) = 12 सेमी० = `12xx 10^(-2)` मीटर
दो वृत्तीय प्लेटों के बीच की दूरी,
`d = 5` सेमी० `= 5xx 10^(-2)` मीटर
धारा (I) = 0.15 A
(a) समान्तर पटट् संधारित्र की धारिता,
`C = (epsi_(0) A)/(d)`
जहाँ, A प्लेटों का क्षेत्रफल,
`C = (8.854 xx 10^(-12) xx 3.14(12 xx 10^(-2))^(2))/(5 xx 10^(-2))`
`C =(8.854 xx 3.14 xx 144 xx 10^(-12-4 +2))/(5)`
` C = 8.01 xx 10^(-14) F = 8.01 pF`
संधारित्र की प्लेटों पर आवेश,
`q=CV`
` (dq)/(dt) = C .(dV)/(dt)`
` I = C .(dV)/(dt)" "[because .(dq)/(dt) = I]`
`(dV)/(dt) = (I)/(C)= (0.15)/(8.01 xx 10^(-12)) = 18.7 xx 10^(9)` वोल्ट/सेकण्ड
अतः विभव परिवर्तन की दर `18.7xx 10^(@)` वोल्ट/सेकण्ड
(b) विस्थापन धारा चालन धारा के बराबर है, `I_(d) = 0.15A`
(c) हाँ, किरचॉफ का प्रथम नियम वैद्य है क्योंकि हम संयुक्त धारा विस्थापन धारा तथा चालन धारा के योग के बराबर लेते हैं।