स्पष्ट है की थैली गाड़ी के पिछले हिस्से से गिरेगी| यद्यपि गाड़ी तथा थैली दोनों ही पूर्व दिशा की और चल रही है.गाड़ी के तेज और थैली के धीमी गति से चलने के कारण ही थैली अंत में गिरती है| यदि गाड़ी के सापेक्ष देखें तो थैली पहले गाड़ी के बीच में जो बाद में पीछे के हिस्से में पहुंच गई| अर्थात, गाड़ी के सापेक्ष थैली पश्चिम दिशा में चली है|
इसलिए गाड़ी के द्वारा थैली पर लगाया गटा घर्षण बल f पूर्व दिशा में होगा| चूँकि थैली गाड़ी की सतह पर सरक रही है अतः यह गतिज घर्षण है| घर्षण बल का परिमाण
होगा जहाँ N गाड़ी द्वारा थैली पर लगाया गया अभिलम्भ बल है| चूँकि थैली ऊर्ध्वाधर दिशा में कोई गति नहीं कर रही है| अतः इस दिशा में लगते सभी बलों का योग शून्य होगा| थैली पर कुल तीन बल लग रहे है|
(a) धरती द्वारा mg (भार )
(b) गाड़ी द्वारा अभिलम्भ बल N
(c) गाड़ी द्वारा घर्षण बल f
ऊर्ध्वाधर दिशा में संतुलन के लिए N =mg समीकरण (i ) में N का मान रखने पर,
` f= mumg =0.10 xx( 50xx10^(-3) kg ) xx ( 9.8m//s^(2))= 0.049N.`
अभ्यास 9 .2 में अपने देखा की थैली पूर्व दिशा की और चल रही थी और उसपर घर्षण बल भी पूर्व दिशा की और ही लग रहा था| वास्तव में घर्षण बल ने ही थैली को पूर्व दिशा में चलाया| यदि गाड़ी और थैली के बीच घर्षण न होता और गाड़ी को चलाना शुरू करते,तो थैली अपने स्थान पर ही रहती और निचे से गाड़ी सरकती जाती| जब गाड़ी का पिछला सिरा भी आगे बढ़ जाता, तो थैली ऊर्ध्वाधर दिशा में अपने स्थान से गिरती| घर्षण सदा गति के विपरीत नहीं लगता, बल्कि कई बार घर्षण ही गति पैदा करता है|