स्थिति A.
पत्थर पर लगनेवाले बल है,
(a) रस्सी द्वारा तनाव का बल `T_(A)`
(b) पत्थर का भार mg.
ये दोनों बल ऊर्ध्वाधर दिशा में नीचे की ओर है (चित्र 10.6 ) स्थिति A में ये दोनों बल केंद्र की ओर लग रहे है। अतः, केंद्र की ओर कुल बल `=T_(A)+mg` होगा। यही अभिकेंद्र बल है और इसका मान `(mv_(A)^(2)//R)` के बराबर होगा। अतः,
`T_(A)+mg=(mv_(A)^(2))/(R)" या "T_(A)=(mv_(A)^(2))/(R)-mg`.
स्थिति B.
यहाँ भी पत्थर पर दो ही बल लग रहे है, रस्सी का तनाव `T_(B)` तथा पत्थर का भार mg (चित्र 10.7) । केंद्र की ओर, अर्थात BO दिशा में mg का कोई घटक नहीं है और `T_(B)` केंद्र की ओर ही लग रहा है। अतः केंद्र की दिशा में कुल घटक `T_(B)` होगा। यही अभिकेंद्र बल है जो `m(v_(B)^(2)//R)` के बराबर होगा। अतः,
`T_(B)=(mv_(B)^(2))/(R)`
स्थिति C.
इस स्थिति में `T_(C)` केंद्र की ओर, अर्थात CO दिशा में लग रहा है और पत्थर का भार नीचे की ओर लग रहा है (चित्र 10.8 ) । CO दिशा में mg का घटक `-mgcos45^(@)` होगा। केंद्र की ओर कुल बल एक मान `T_(C)-mgcos45^(@)` हुआ। यही अभिकेंद्र बल है, जो `mv_(C)^(2)//R` के बराबर होगा। अतः,
`T_(C)-mgcos45^(@)=(mv_(C)^(2))/(R)`
या `T_(C)=(mv_(C)^(2))/(R)+(mg)/(sqrt2)`.