अपूर्ण अथवा पूर्ण भरे हुए कक्षकों की उपस्थिति किसी विशेष तत्व/आयन की स्थिरता प्रकट करती हैं| ऐसे कक्षकों की संख्या जितिन अधिक होगी, सापेक्षिक स्थायित्व उतना ही अधिक होगा| उदाहरण के लिए, Mn(Z=25) की विभिन्न ऑक्सीकरण अवस्थाएँ इलेक्ट्रॉनिक विन्यास सहित लिखें| तत्व का विन्यास `[Ar] 3d^(5) 4s^(2)` होता हैं|
`Mn^(2+): [Ar]3d^(6), Mn^(3+): [Ar]3d^(4), Mn^(4+), [Ar]3d^(3)`.
तत्व की +2 ऑक्सीकरण अवस्था बहुत अधिक स्थायी होतो हैं क्यूंकि `Mn^(2+)` का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास उच्च सममितीय (सभी पाँचों 3d-कक्षक आधे भरे हुए होते हैं) होता हैं|