(b) गोले तथा कण के निकाय पर टक्कर के समय कुल बाहरी बल शून्य ले सकते है। घर्षण का बल एक निशिचत परिमाण का है और यदि टक्कर में बहुत कम समय लगता है तो इसके कारण संवेग में परिवर्तन नगण्य होगा। अतः, रेखीय संवेग के संरक्षण से,
`mv_(0)=(M+m)v`
या `v=(mv_(0))/(M+m)`
(b) चूँकि `Mgtgtm` गोले का केंद्र पूरी संहति के द्रव्यमान केंद्र के स्थान पर ही मान जा सकता है। अतः गोले के केंद्र से होकर चित्र के तल के लंबवत रेखा के प्रति कोणीय संवेग पर विचार करे।
टक्कर के ठीक पहले कोणीय संवेग `=mv_(0)(h-R)`
टक्कर के बाद इस रेखा के प्रति कोणीय संवेग
`=((2)/(5)MR^(2)+mR^(2))omega`
ध्यान दे कि अक्ष से कण की दुरी R के ही बराबर है। कोणीय संवेग के संरक्षण के लिए,
`mv_(0)(h-R)=((2)/(5)MR^(2)+mR^(2))omega`
या `omega=(mv_(0)(h-R))/(((2)/(5)M+m)R^(2))`
(c) यदि गोला बिना फिसले लुढ़कना प्रारंभ करता है, तो
`v=omegaR`
या `(mv_(0))/(M+m)=(mv_(0)(h-R))/(((2)/(5)M+m)R)`
अतः `h=(((7)/(5)M+2m)/(M+m))R~~(7)/(5)R`