आकारिकी अनुकूलन-
1. मूलतंत्र सुविकसित, शाखित गहरा तथा प्रसारित, मूल रोम व मूल टोप पूर्ण विकसित होते हैं।
2. तना चपटा त मांसल हो जाता है तथा पर्ण व स्तम्भ दोनों का कार्य करता है, जिसे पर्ांभ स्तम्भ कहते हैं, जैसे नागफनी, कोकोलाबा।
3. पत्तियाँ बहुकोशिकीय रोमों से ढँकी होती हैं जिससे वाष्पोत्सर्जन कम होता है, जिसे रोम पर्ण पादप (Trichophyllous Plants) कहते हैं, जैसे-केलोट्रापिस ।
4. इनमें हाइड्रोकेसी या आर्द्रता स्फुटन का लक्षण पाया जाता हैं।
शारीरिकीय अनुकूलन-
1. पर्ण तथा स्तम्भ की अधिचर्म मोटी क्यूटिकल युक्त होती है।
2. रंध्र गहरे गर्त में अर्थात् गर्ती रंध्र होते हैं, जैसे-कनेर। 3. यांत्रिक व संवहन ऊतक सुविकसित होती है ।
4. अधिचर्म तथा अधश्चर्म में क्यूटीन, लिग्निन, सूबेरिन का निक्षेपण होता है।