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प्रत्यावर्ती R-C परिपथ में प्रतिबाधा, धारा तथा विभवांतर के मध्य कलांतर एवं औसत व्यय ऊर्जा की दर के लिये व्यंजक ज्ञात कीजिए ।

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चित्र (a) के अनुसार माना कि R प्रतिरोध के एक चलाक तथा C धारिता के एक संधारित्र को प्रत्यावर्ती वोल्टेज स्त्रोत के साथ श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है प्रत्यावर्ती वोल्टेज स्त्रोत के साथ श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है । प्रत्यावर्ती वोल्टेज का समीकरण निम्नलिखित है
`V=V_(0)sinomegat`
image
माना कि किसी क्षण t में परिपथ में प्रवाहित धारा I हो, तो प्रतिरोध R के सिरों का विभवांतर `V_(R)=IR` तथा जहाँ संधारित्र के सिरों के बीच विभवांतर `V_(C)=IX_(C)` होगा जहाँ `X_(C)` परिपथ की धारिता प्रतिघात है विभवांतर `V_(R)` तथा I समान कला में होंगे जबकि `V_(C)` तथा I के बीच कलांतर `90^(@)` होता है जिसे चित्र (b) में प्रदर्शित किया गया है |
अतः यदि `V_(R)` तथा `V_(C)` का परिणामी V हो, तो
`V^(2)=V_(R)^(2)+V_(C)^(2)`
`V^(2)=(IR)^(2)+(IX_(C))^(2)`
`=I^(2)R^(2)+I^(2)X_(C)^(2)`
या `(V^(2))/(I^(2))=R^(2)+X_(C)^(2)`
या `(V)/(I)=sqrt(R^(2)+X_(C)^(2))` . . .(1)
image
ओम के नियमानुसार `(V)/(I)` परिपथ का प्रभावी प्रतिरोध अर्थात प्रतिबाधा होगा अर्थात R-C परिपथ की प्रतिबाधा
`Z=sqrt(R^(2)+X_(C)^(2))`
परन्तु हमें ज्ञात है कि संधारित्र की धारिता प्रतिघात `X_(C)=(1)/(omegaC)` होता है अतः C-R परिपथ की प्रतिबाधा
`Z=sqrt(R^(2)+(1)/(omega^(2)C^(2)))` . . . (2)
यही C-R परिपथ की प्रतिबाधा का सूत्र है चित्र (b) से स्पष्ट है कि प्रत्यावर्ती धारा तथा वोल्टेज के बीच कलांतर `phi` हो तो
`tanphi=(V_(C))/(V_(R))=(IX_(C))/(IR)`
`=(X_(C))/(R)=(1//omegaC)/(R)=(1)/(omegaCR)`
या `phi=tan^(-1)((1)/(omegaCR))` . . .(3)
यही C-R परिपथ में धारा तथा वोल्टेज के बीच कलान्तर का सूत्र है
स्पष्ट है वोल्टेज V, धारा से `phi` कला पश्चगामी है
परिपथ में व्यय ऊर्जा के दर अर्थात औसत शक्ति क्षय
`P_(av)=I_("rms")V_("rms")cosphi`
जहाँ `cosphi=(R)/(sqrt(R^(2)+(1//omega^(2)C^(2))))`
परिपथ में बहने वाली धारा निम्न समीकरण से व्यक्त की जा सकती है
`I=I_(0)sin(omegat+phi)`
`=(V_(0))/(Z)sin(omegat+phi)`
`=(V_(0))/(sqrt(R^(2)+((1)/(omegaC))^(2)))sin(omegat+phi)`
जहाँ `phi=tan^(-1)((1)/(omegaCR))`.

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