तरंग सिद्धांत के अनुसार, यदि यथेष्ट समय तक किसी भी आवृत्ति के प्रकाश को धातु की सतह पर डाला जाये, तो प्रकाश इलेक्ट्रॉन अवश्य निकलने चाहिए । इसके विपरीत प्रयोग बताता है कि इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन तभी सम्भव हो पाता है, जबकि आपतित प्रकाश की आवृत्ति एक न्यूनतम आवृत्ति जिसे देहली आवृत्ति कहते हैं, से अधिक हो। यह तथ्य फोटॉन सिद्धांत की पुष्टि करता है, क्योंकि इस सिद्धांत के अनुसार, उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा,
`E_(k)=hv-hv_(0)`
यदि `v=v_(0),` तो `E_(k)=0` और यदि तो `vltv_(0),` इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा ऋणात्मक हो जाएगी, अर्थात इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन नहीं होगा । अतः देहली आवृत्ति का होना, फोटॉन सिद्धांत की ही पुष्टि करता है।