पावक झर = आग की लपट। सटपटाति-सी = डरती हुई-सी। झमकिकै = नखरे की चाल से, गहनो की झनकार करके, चपलता से।
डरती हुई-सी-वह चन्द्रबदनी (अपने) मुख को घूंघट से ढँककर अग्नि की लपट-सरीखी चंचलता के साथ झरोखे से झाँक गई।
नोट - भाव यह है कि अपने गुरुजनों के डर से वह मुख पर आँचल डालकर झटपट खिड़की पर आई और (नायक को) देखकर चली गई।