Correct Answer - Option 4 : क्त
स्पष्टीकरण -
- 'पच्' धातु में 'क्त' प्रत्यय लगाकर नपुंसकलिंग में पक्वम् रूप बनेगा।
सूत्र - क्तक्तवतू निष्ठा।
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नियम - समाप्त हो चुकी (भूतकालिक) क्रियाओं के अर्थ में क्त (त) और क्तवतू (तवत्) इन दोनों प्रत्ययों का प्रयोग किया जाता है। जहाँ क्त में त एवं क्तवतू में से तवत् शेष बचता है। इन दोनों प्रत्ययों की निष्ठा संज्ञा होती है।
- 'लशक्वतद्धिते' सूत्र से 'क्त' के 'क्' का लोप हो जाता है और केवल 'त' शेष बचता है।
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पक्वम् - 'पच् + क्तः' यहाँ निष्ठासंज्ञक क्त प्रत्यय लगाया हुआ है। 'क्त' प्रत्यय में 'क्' इत्संज्ञक है।
- 'पचो वः' इस सूत्र से निष्ठा के तकार को वकार होता है।
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'चोः कुः' इस सूत्र से चकार को ककार होता है।
- पच् + व = पक् + व = पक्वः
- 'पच् + क्तः' होकर 'पक्व' यह प्रत्यययुक्त पद होता है।
- इस प्रत्यय से बने शब्दों के रूप तीनों लिङ्गों में चलते हैं - जैसे - पक्वः - पुंल्लिङ्ग, पक्वा - स्त्रीलिङ्ग, पक्वम् - नपुंसकलिङ्ग।
अतः स्पष्ट होता है कि 'पक्वम्' में 'क्त' प्रत्यय लगा है।