Correct Answer - Option 1 : श्रृंगार रस
उपरोक्त पंक्तियों में 'भक्ति रस' है। अन्य विकल्प असंगत हैं। अतः सही विकल्प 2 ‘श्रृंगार रस’ है।
उपरोक्त पंक्तियों में श्री कृष्ण का नखशिख वर्णन किया गया है, उनका रूप अत्यंत सुन्दर लग रहा है, अत: इसमें शृंगार रस है।
श्रंगार रस
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नायक और नायिका के मन में संस्कार रूप में स्थित रति या प्रेम जब रस की अवस्था को पहुँचकर आस्वादन के योग्य हो जाता है तो वह 'श्रृंगार रस' कहलाता है।
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अन्य विकल्प -
रस
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परिभाषा
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वात्सल्य रस
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इसका स्थायी भाव वात्सल्यता (अनुराग) होता है माता का पुत्र के प्रति प्रेम, बड़ों का बच्चों के प्रति प्रेम, गुरुओं का शिष्य के प्रति प्रेम, बड़े भाई का छोटे भाई के प्रति प्रेम आदि का भाव स्नेह कहलाता है यही स्नेह का भाव परिपुष्ट होकर वात्सल्य रस कहलाता है।
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भक्ति रस |
जहाँ ईश्वर के प्रति प्रेम या अनुराग का वर्णन होता है वहाँ भक्ति रस होता है। भक्ति रस का स्थायी भाव देव रति है।
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हास्य रस |
हास्य रस का स्थायी भाव हास् है। किसी असाधारण व्यक्ति की असाधारण आकृति, विचित्र वेशभूषा, अनोखी बातें सुनने या देखने से मन मे उत्पन्न स्थायी भाव को 'हास' कहते है और जब हास स्थायी भाव का संयोग विभाव, अनुभाव एवं संचारी भाव से होता है, तो हास्य रस की उत्पत्ति होती है।
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रस
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रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है।
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