Correct Answer - Option 3 : हरिगीतिका या गीता
सही विकल्प 3 हरिगीतिका या गीता है। अन्य विकल्प असंगत हैं।
हरि गीतिका – हरि गीतिका मात्रिक सम छन्द है। इसके प्रत्येक चरण में 28 मात्राएँ होती हैं तथा 16-12 पर यति होती है। प्रत्येक चरण के अन्त में लघु गुरु आते हैं।
'कोउ आजु राजसमाज में बल संभु को धनु कर्षि है।' - पंक्ति में हरिगीतिका छंद है।
अन्य विकल्प -
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मालिनी छन्द - यह एक सम वर्ण वृत छन्द है। इसके प्रत्येक चरण में "न न म य य" अर्थात दो 'नगण' एक 'मगण' और दो 'यगण' के क्रम से 15 वर्ण होते हैं। आठवें और सातवें वर्णों पर यति होती है।
उदाहरण-
न न म य य
प्रिय पति वह मेरा, प्राण प्यारा कहाँ है।
दुख-जलधि निमग्ना, का सहारा कहाँ है।
अब तक जिसको मैं, देख के जी सकी हूँ।
वह हृदय हमारा, नेत्र तारा कहाँ है।।
इस पद्य में दो नगण, एक मगण तथा दो यगण के क्रम से 15 वर्ण हैं। अतः यह 'मालिनी छन्द' है।
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उल्लाला छंद - यह अर्ध सममात्रिक छन्द है । उल्लाला में 28 मात्राएँ होते हैं जिसमें पहले और तीसरे चरण में 15-15 दूसरे और चौधे चरण में 13-13 मात्राएं होती है।
अतः उल्लाला छन्द = 15 + 13 = 28
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मालिनी छन्द – यह एक सम वर्ण वृत छन्द है। इसके प्रत्येक चरण में "न न म य य" अर्थात दो 'नगण' एक 'मगण' और दो 'यगण' के क्रम से 15 वर्ण होते हैं। आठवें और सातवें वर्णों पर यति होती है।
उदाहरण-
न न म य य
प्रिय पति वह मेरा, प्राण प्यारा कहाँ है।
दुख-जलधि निमग्ना, का सहारा कहाँ है।
अब तक जिसको मैं, देख के जी सकी हूँ।
वह हृदय हमारा, नेत्र तारा कहाँ है।।
इस पद्य में दो नगण, एक मगण तथा दो यगण के क्रम से 15 वर्ण हैं। अतः यह 'मालिनी छन्द' है।