Correct Answer - Option 4 : गीतिका छन्द
उपरोक्त पद्यांश में गीतिका छन्द है। अतः इसका सही उत्तर विकल्प 4 'गीतिका छन्द' है।अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
गीतिका छन्द -
- यह एक मात्रिक छंद है।
- इसके चार चरण होते है।
- प्रत्येक चरण में 14 एवं 12 की यति से 26 मात्राएं होती है।
अन्य विकल्प -
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रोला -यह सममात्रिक छन्द है। इसे ‘काव्य छन्द’ के नाम से भी जाना जाता है। इसमें कुल 24 मात्राएं होती है जिसमें 11 एवं 13 मात्राओं पर यति होता है। कहने का तात्पर्य है कि पहले और तीसरे चरण में 11-11 तथा दूसरे और चौथे में 13-13 मात्राएं होती है। यह दोहा का उल्टा होता है।
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छप्पय - इस छंद में 6 चरण होते हैं। पहले चार चरण रोला छंद के होते हैं और अंत के दो चरण उल्लाला छंद के होते हैं। प्रथम चार चरणों में 24 मात्राएँ और बाद के दो चरणों में 26-26 या 28-28 मात्राएँ होती हैं।
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कवित्त - इसमें प्रत्येक चरण में 16, 32 के विराम से 31 अक्षर होते हैं । केवल अन्त में गुरु होना चाहिए, शेष वर्णो के लिये लघु गुरु का कोई नियम नहीं है । जहाँ तक हो, सम वर्ण के शब्दों का प्रयोग करें तो पाठ मधुर होता है। यदि विषम वर्ण के शब्द आएँ तो दो एक साथ हों। इसे 'मनहरन' और 'घनाक्षरी' भी कहते हैं।
छंद की परिभाषा - निश्चित चरण, वर्ण, मात्रा, गति, यति, तुक और गण आदि के द्वारा नियोजित पद्य रचना को छंद कहते हैं।