Correct Answer - Option 2 : हरीगीतिका छन्द
उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प 2 ‘हरीगीतिका छन्द’ इसका सही उत्तर है। अन्य विकल्प इसके सही उत्तर नहीं हैं।
मुरली अधर धर श्याम सुन्दर, जब लगाते तान हैं।
सुनकर मधुर धुन भावना में, बह रहे रसखान है।।
उपरोक्त छन्द का नाम हरीगीतिका छन्द हैं।
- हरिगीतिका छन्द चार चरणों वाला एक सम मात्रिक छंद है। इसके प्रत्येक चरण में 16 व 12 के विराम से 28 मात्रायें होती हैं तथा अंत में लघु गुरु आना अनिवार्य है। अधिकांशत: यह छंद ईश-वंदना में प्रयोग किया जाता है। हरिगीतिका में 16 और 12 मात्राओं पर 'यति' होती है। प्रत्येक चरण के अन्त में 'रगण' आना आवश्यक है।
- 'हरिगीतिका' के चारों पदों में से कम से कम दो-दो पदों में 'तुक' मिलना चाहिए। यदि चारों में हो तो और भी अच्छा रहता है।
उदाहरण
प्रभु गोद जिसकी वह यशोमति, दे रहे हरि मान हैं।
गोपाल बैठे आधुनिक रथ, पर सहित सम्मान हैं।।
मुरली अधर धर श्याम सुन्दर, जब लगाते तान हैं।
सुनकर मधुर धुन भावना में, बह रहे रसखान हैं।।
छंद- छंद शब्द ‘चद‘ धातु से बना है जिसका अर्थ होता है– खुश करना। हिंदी साहित्य के अनुसार अक्षर, अक्षरों की संख्या, मात्रा, गणना, यति, गति से संबंधित किसी विषय पर रचना को छंद कहा जाता है।
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