Correct Answer - Option 4 : गीतिका
गीतिका हन्द के प्रत्येक चरण में 26 मात्राएँ होती हैं; 11 , 12 अथवा 12,14 पर यति होती है और 3,10,17,24 वीं मात्राएँ अनिवार्यतः लघु 1 होती हैं। अन्य विकल्प असंगत है। अतः सही उत्तर विकल्प 4) गीतिका होगा ।
छंद
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अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रागणना तथा यति-गति से सम्बद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्यरचना 'छन्द' कहलाती है।
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छन्द के निम्नलिखित अंग है-
(1)चरण /पद /पाद
(2) वर्ण और मात्रा
(3) संख्या क्रम और गण
(4)लघु और गुरु
(5) गति
(6) यति /विराम
(7) तुक
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प्रमुख मात्रिक छन्द:
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(1) चौपाई
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यह मात्रिक सम छन्द है। इसके प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती है। चरण के अन्त में जगण (।ऽ।) और तगण (ऽऽ।) का आना वर्जित है।
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उदाहरणार्थ-
नित नूतन मंगल पुर माहीं। निमिष सरिस दिन जामिनि जाहीं।।
बड़े भोर भूपतिमनि जागे। जाचक गुनगन गावन लागे ।।
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(2) रोला (काव्यछन्द)
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यह मात्रिक सम छन्द है। इसके प्रत्येक चरण में 24 मात्राएँ होती हैं। इसके प्रत्येक चरण में 11 और 13 मात्राओं पर यति ही अधिक प्रचलित है।
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उदाहरणार्थ-
जो जगहित पर प्राण निछावर है कर पाता।
जिसका तन है किसी लोकहित में लग जाता ।।
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(3) हरिगीतिका
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यह मात्रिक सम छन्द है। इस छन्द के प्रत्येक चरण में 28 मात्राएँ होती हैं। 16 और 12 मात्राओं पर यति तथा अन्त में लघु-गुरु का प्रयोग ही अधिक प्रचलित है।
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उदाहरणार्थ-
कहती हुई यों उत्तरा के नेत्र जल से भर गए।
हिम के कणों से पूर्ण मानो हो गए पंकज नए ।
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(4)उल्लाला
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सके पहले और तीसरे चरणों में 15-15 तथा दूसरे और चौथे चरणों में 13-13 मात्राएँ होती हैं।
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उदाहरणार्थ-
हे शरणदायिनी देवि तू, करती सबका त्राण है।
हे मातृभूमि ! संतान हम, तू जननी, तू प्राण है।।
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(5)तोमर छन्द
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त्येक चरण में बारह मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु लघु होता है।
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उदाहरणार्थ-
तब चले बान कराल | फुंकरत जनु बहु ब्याल |
कोपेउ समर श्रीराम | चले बिशिख निशित निकाम ||
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