पुरुष में यौवनारम्भ का प्रारम्भ
यौवनारम्भ (Puberty) प्राणी के प्रजनन के योग्य हो जाने को यौवनारम्भ कहते हैं। पुरुष (बालक) में यौवनारम्भ 13-16 वर्ष की आयु में होता है।
वृषण द्वारा स्रावित टेस्टोस्टेरॉन (Testosterone) और एण्ड्रोस्टेरॉन (Androsterone) लिंग हॉर्मोन्स से यौवनारम्भ प्रेरित होता है, जिसके फलस्वरूप बालकों में निम्नलिखित लक्षण विकसित होने लगते हैं।
⦁ पुरुष की आवाज भारी होने लगती है और शरीर की लम्बाई में वृद्धि होती है।
⦁ अस्थियाँ और मांसपेशियाँ अधिक सुदृढ़ हो जाती हैं, कन्धे भी चौड़े हो जाते हैं।
⦁ दाढ़ी, पूँछ निकल आती हैं।
⦁ मैथुन अंग शिश्न और वृषण कोष सुविकसित हो जाते हैं।
⦁ शुक्रजनन नलिकाओं में शुक्राणुओं का निर्माण आरम्भ हो जाता है।
स्त्री में यौवनारम्भ का प्रारम्भ
बालिकाओं में, यौवनारम्भ लड़कों की अपेक्षा जल्दी प्रारम्भ हो जाता है। इनमें 12-13 वर्ष की आयु में आर्तव चक्र प्रारम्भ हो जाता है। एस्ट्रोजन (Ostrogen) और FSH हॉमन्स यौवनावस्था को प्रेरित करते हैं, जिसके फलस्वरूप बालिकाओं में निम्नलिखित परिवर्तन होते हैं।
⦁ बाह्य जननांगों और स्तनों का विकास होने लगता है।
⦁ आर्तव चक्र (Menstrual cycle) और अण्डोत्सर्ग (Ovulation) का प्रारम्भ हो जाता है।
⦁ चेहरे, जाँघ और नितम्बों पर वसा का संचय प्रारम्भ हो जाता है।
⦁ श्रोणि मेखला (Pelvice girdle) फैलकर चौड़ी हो जाती हैं।
⦁ स्वर तीव्र और मधुर होने लगता है।
⦁ कक्षीय और जघन बालों का उगना।