भारत की जनसंख्या में निरन्तर होने वाली वृद्धि को ध्यान में रखते हुए इसे नियन्त्रित करना अनिवार्य माना जा रहा है। इस मुख्य उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए ‘नयी राष्ट्रीय जनसंख्या नीति-2000′ निर्धारित की गयी। ‘नयी राष्ट्रीय जनसंख्या नीति-2000′ की घोषणा फरवरी 2000 में भारत के प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा की गयी। इस जनसंख्या नीति में सर्वप्रथम कहा गया था कि सन् 2010 ई० तक जनसंख्या वृद्धि की दर को 2.1 प्रतिशत पर लाया जाएगा तथा सन् 2045 ई० में जनसंख्या वृद्धि रुक जाएगी अर्थात् जनसंख्या स्थिर हो जाएगी। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हर सम्भव उपाय किये जाएँगे। इस नीति को कार्यान्वित करने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न निर्णय लिये गये हैं, जैसे कि-
⦁ इस जनसंख्या नीति के अन्तर्गत पंचायतों/जिला परिषदों को जनसंख्या नियन्त्रण के लिए प्रेरित करने के लिए पुरस्कार प्रदान किये जाएँगे।
⦁ इस नीति के अन्तर्गत ‘बाल-विवाह निरोधक अधिनियम’ तथा ‘प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण तकनीकी निरोधक अधिनियम’ को कठोरता से लागू करने की घोषणा की गयी है।
⦁ समाज के गरीबी की रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले परिवारों के लिए स्वास्थ्य बीमा-योजना को लागू किया गया है। इसके अतिरिक्त बालिका शिशुओं के पालन-पोषण के लिए उसके माता-पिता को १ 500 की प्रोत्साहन राशि देने का भी प्रावधान है।
नयी राष्ट्रीय जनसंख्या नीति’ सराहनीय है परन्तु कुछ विद्वानों ने इसकी व्यावहारिकता पर प्रश्न-चिह्न लगाया है। उनका कहना है कि 2010 तक जनसंख्या वृद्धि की दर को 2.1 प्रतिशत तक लाना सम्भव नहीं है। इसके अतिरिक्त इस नीति में न तो यौन-शिक्षा की बात कही गयी है और न ही अनिवार्य नसबन्दी का कोई प्रावधान है। अतः यह जनसंख्या नीति केवल सैद्धान्तिक है, व्यावहारिक नहीं।