सूझ या अन्तर्दृष्टि का सिद्धान्त । गैस्टाल्टवादी मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, प्राणी अपनी सूझ या अन्तर्दृष्टि (Insight) के द्वारा ही सीख पाता है और सूझ के अभाव में वह सीखने में असफल रहता है। उविकास की प्रक्रिया के अन्तर्गत सूझ निम्नस्तर के प्राणियों से उच्च स्तर के प्राणियों की ओर वृद्धि करती है। चूहे, बिल्ली, कुत्ते की अपेक्षा वनमानुष में तथा इन सबसे ज्यादा मनुष्य में सूझ पायी जाती है। सूझ के कारण ही उच्च स्तर के प्राणी जटिल कार्य करने में समर्थ होते हैं। गैस्टाल्टवादियों का कहना है कि सीखने की प्रक्रिया प्रयत्न एवं भूल अथवा सम्बद्ध प्रत्यावर्तन के अनुसार न होकर सूझ द्वारा होती है। इस विचारधारा के प्रवर्तक कोहलरे (Kohler) तथा कोफ्का (Koffka) थे।
सूझ या अन्तर्दृष्टि द्वारा सीखना
सूझ या अन्तर्दृष्टि मनुष्य जैसे विकसित प्राणी का प्रमुख लक्षण है। मानव के निकटवर्ती विकसित प्राणियों तथा वनमानुष और चिम्पैंजी में भी सूझ की क्षमता निहित होती है। कोहलर तथा कोफ्का के अनुसार, हमारा सीखना सूझ के द्वारा होता है और सीखने की लगभग सभी प्रतिक्रियाओं में सूझ की आवश्यकता पड़ती है। इस सिद्धान्त की प्रमुख विशेषता यह है कि सीखने की प्रत्येक क्रिया का कुछ-न-कुछ उद्देश्य अवश्य होता है तथा सीखने के समस्त प्रयास लक्ष्य द्वारा निर्देशित होते हैं। लक्ष्य में विविध बाधाएँ उत्पन्न होने पर सूझ की आवश्यकता होती है।
प्रत्येक बाधा व्यक्ति को नवीन परिस्थिति से अवगत कराती है और वह उस परिस्थिति के विभिन्न अंगों में परस्पर सम्बन्ध स्थापित करता है उन्हें समझने की कोशिश करता है। तत्पश्चात् व्यक्ति समूची परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए उसके अनुसार प्रतिक्रिया व्यक्त करता है। किसी परिस्थिति-विशेष को समझकर उसके अनुसार प्रतिक्रिया करना ही व्यक्ति की सूझ का द्योतक है। इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप व्यक्ति जो व्यवहार सीखता है—उसे सूझ या अन्तर्दृष्टि द्वारा सीखना कहते हैं

कोहलर का प्रयोग– कोहलर ने एक पिंजरे की छत में कुछ केलों को इस प्रकार टाँग दिया कि वे उस पिंजरे में बन्द भूखे चिम्पैंजी की पहुँच से बिल्कुल बाहर थे। पिंजरे में दो-तीन खाली सन्दूक रख दिये गये थे जिन्हें एक के ऊपर एक रखकर चिम्पैंजी केलों तक पहुँच सकता था। प्रेक्षण के दौरान पाया गया कि चिम्पैंजी ने केलों को पाने की कोशिश में खूब उछल-कूद मचायी लेकिन वह केलों को प्राप्त नहीं कर सका। थोड़ी देर तक वह पिंजरे में चारों ओर दृष्टि डालता रहा और हर चीज को ध्यानपूर्वक देखता रहा। उसने सन्दूकों को बहुत ध्यान से निरीक्षण किया। कुछ देर बाद, उसने पहले एक सन्दूक को केलों के नीचे रखकर उन तक पहुँचने का प्रयास किया। असफल रहने पर उसने दूसरा, फिर तीसरा सन्दूक भी एक के ऊपर एक रख दिया और इस भाँति केलों को प्राप्त कर लिया। प्रयोग से निष्कर्ष निकलता है कि चिम्पैंजी ने सम्पूर्ण परिस्थिति को पूरी तरह समझने के बाद सूझ के माध्यम से यह प्रतिक्रिया सीखी।।
सूझ विधि की विशेषताएँ
सूझ विधि की प्रमुख विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं
⦁ इस विधि में समझ का प्रयोग होता है और यह उच्च स्तरीय बौद्धिक जीवों में ही मिलती है।
⦁ इसके अन्तर्गत समझ की सर्वाधिक भूमिका रहती है, न कि हस्त-कौशल की।
⦁ यह प्रक्रिया आयु वृद्धि से प्रभावित होती है तथा कम आयु के लोगों की अपेक्षा अधिक.आयु के लोगों में सफल रहती है।
⦁ यह एक आकस्मिक (अचानक होने वाली) घटना है।
⦁ सूझ या अन्तर्दृष्टि में पूर्व के अनुभव सहायता करते हैं। |
⦁ सूझ द्वारा सीखना प्रत्यक्षीकरण का परिणाम है और प्रत्यक्षीकरण के माध्यम से किसी परिस्थिति विशेष के तत्त्वों को नवीन संगठन प्रदान किया जाता है।
⦁ सूझ द्वारा सीखने के किसी भी उदाहरण में प्रयत्न एवं भूल का अंश निहित है।