बाजार मूल्य की प्रवृत्ति सदैव सामान्य मूल्य के बराबर होने की होती है। बाजार मूल्य सामान्य मूल्य के चारों ओर चक्कर काटता रहता है। यह अधिक समय तक सामान्य मूल्य से बहुत नीचा या ऊँचा नहीं रह सकता। सामान्य मूल्य लागत मूल्य के बराबर होता है, किन्तु बाजार मूल्य घटता-बढ़ता रहता है। इतना होते हुए बाजार मूल्य की प्रवृत्ति सदा सामान्य मूल्य की ओर बढ़ने लगती है। यदि बाजार मूल्य सामान्य मूल्य से अधिक ऊँचा हो जाता है तो उत्पादकों को असाधारण लाभ होने लगेगा और वे इस वस्तु का उत्पादन बढ़ाएँगे। दूसरे उत्पादक भी इस वस्तु का उत्पादन करने लगेंगे। वस्तु की पूर्ति माँग के बराबर हो जाएगी और मूल्य गिरकर सामान्य मूल्य के बराबर हो जाएगा।
इसी प्रकार, यदि माँग कम हो जाने के कारण किसी वस्तु का बाजार मूल्य सामान्य मूल्य से नीचा होता है तो उत्पादकों को हानि होने लगेगी। वे इस वस्तु का उत्पादन कम कर देंगे तथा कुछ अन्य उत्पादक भी इसका उत्पादन बन्द कर देंगे। इस प्रकार वस्तु की पूर्ति कम होकर माँग के अनुसार हो जाएगी और बाजार मूल्य सामान्य मूल्य के बराबर हो जाएगा। इस प्रकार मूल्य बार-बार सामान्य मूल्य के बराबर होता रहता है।