ग्रामीण ऋणग्रस्तता को समाप्त करने के लिए ‘सहकारी ऋण समितियाँ अधिनियम पारित किया गया। इस समय विभिन्न प्रकार की सहकारी समितियाँ देश में कार्यरत हैं, जिनमें सहकारी साख समितियों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इनमें निम्नलिखित मुख्य हैं
⦁ प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ – ये प्रमुख सहकारी साख समितियाँ हैं, जिनका मुख्य कार्य किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए उन्हें ऋण उपलब्ध कराना है। लगभग
10 करोड़ कृषक इन समितियों के सदस्य हैं।
⦁ सहकारी भूमि विकास बैंक – यह भी एक सहकारी साख समिति है, जिसका उद्देश्य कृषकों को लम्बी अवधि के लिए कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराना है। इसकी लगभग 1,700 शाखाएँ हैं। इसके अन्तर्गत केन्द्रीय विकास बैंक तथा प्राथमिक भूमि विकास बैंक किसानों की भूमि रहन रखकर ऋण उपलब्ध कराते हैं।