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“वन हमारी राष्ट्रीय निधि हैं।” स्पष्ट कीजिए।

या

भारतीय अर्थव्यवस्था में वनों के महत्त्व की विवेचना कीजिए। 

या

वनों से होने वाले प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष लाभ लिखिए।

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वन राष्ट्रीय निधि हैं या वनों का महत्त्व
किसी देश के आर्थिक विकास व समृद्धि में वनों का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। वनों से राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है, व्यक्तियों को रोजगार मिलता है, उद्योगों का विकास होता है, बाढ़ पर नियन्त्रण होता है तथा मिट्टी के कटाव को रोकने के साथ-साथ जलवायु को नियन्त्रित करके वन नागरिकों के शारीरिक व मानसिक विकास में अपना योगदान देते हैं। इसी कारण वनों को राष्ट्र की निधि’ माना जाता है। वनों से प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से लाभ प्राप्त होते हैं।

प्रत्यक्ष लाभ
वनों से प्राप्त होने वाले प्रत्यक्ष लाभ निम्नलिखित हैं
⦁    वन बहुमूल्य एवं उपयोगी लकड़ी के एकमात्र स्रोत हैं। वनों से प्राप्त होने वाली आय का 75% भाग लकड़ियों के रूप में ही प्राप्त होता है। इन लकड़ियों का उपयोग फर्नीचर बनाने तथा ईंधन के लिए किया जाता है।
⦁    पशुओं का प्रिय चारों वनों में उगने वाली घास तथा पेड़ों की हरी-भरी पत्तियाँ हैं; अतः वन पशुओं को चराने के लिए उत्तम एवं विस्तृत चरागाह की सुविधा भी प्रदान करते हैं।
⦁    वनों में अनेक प्रकार के पशु-पक्षी निवास करते है; अतः शिकारियों के लिए वन प्रमुख आखेट-स्थल होते हैं। इन वन्य पशुओं से मांस, खाल, हड्डी, सींग एवं हाथीदाँत जैसी उपयोगी वस्तुएँ प्राप्त होती हैं। सरकार ने पशुओं के शिकार पर अब रोक लगा दी है।
⦁    वृक्षों की पत्तियाँ भूमि पर गिरकर सड़-गल जाती हैं, जो भूमि को प्राकृतिक खाद प्रदान करती हैं। इस प्रकार वनों से भूमि की उर्वरा-शक्ति में पर्याप्त वृद्धि हो जाती है।
⦁    वनों से प्राप्त अनेक वस्तुओं का निर्यात विदेशों को किया जाता है, जिससे सरकार को करोड़ों रुपये की विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। लाख, प्लाइवुड, खेल का सामान तथा चन्दन की लकड़ी एवं विशिष्ट जीवों की खालों का विदेशों को निर्यात किया जाता है। इन वस्तुओं के निर्यात से प्रतिवर्ष भारत सरकार को लगभग ₹ 50 करोड़ की विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है।
⦁    वनों से प्राप्त कच्चे माल पर अनेक उद्योग-धन्धे निर्भर हैं। वन हमें गोंद, रबर, लाख, बाँस, कत्था, तारपीन का तेल तथा चन्दन जैसे उपयोगी पदार्थ प्रदान करते हैं। इन पदार्थों का उपयोग अनेक उपयोगी तथा महत्त्वपूर्ण वस्तुओं के निर्माण में किया जाता है।
⦁    वृक्ष फल-फूलों के विशाल भण्डार हैं; अत: वनों से हमें अनेक प्रकार के फल-फूल प्राप्त होते हैं। इनका उपयोग विभिन्न प्रकार से किया जाता है।
⦁    वनों से हमें अनेक प्रकार की जड़ी-बूटियाँ तथा ओषधियाँ प्राप्त होती हैं। हरड़-बहेड़ा, आँवला इसी प्रकार की बहु-उपयोगी ओषधियाँ हैं। वनों से हमें अमृत-तुल्य शहद भी प्राप्त होता है।
⦁    वन राष्ट्रीय आय का एक प्रमुख स्रोत हैं। वनों से प्राप्त प्राकृतिक सम्पत्ति देश के लिए आय का एक मुख्य स्रोत है।

अप्रत्यक्ष लाभ
वनों से प्राप्त होने वाले अप्रत्यक्ष लाभ निम्नलिखित हैं
⦁    वन वायुमण्डल में नमी उत्पन्न कर देते हैं। यह नमी वर्षा करने में सहायक होती है।
⦁    वन मरुस्थल के प्रसार को भी रोकते हैं। वृक्ष वायु के कटाव-कार्य एवं गति में बाधक बनते हैं। बालू का प्रसार वृक्षों के होते हुए नहीं हो पाता।।
⦁    वृक्षों की जड़े जल-शोषण का कार्य करती हैं। वर्षा होते ही वृक्षों की जड़े पानी को चूसकर नीचे पहुँचा देती हैं जिससे भूमिगत जल का स्तर ऊँचा हो जाता है, जिसका उपयोग हम करते हैं।
⦁    वन देश की प्राकृतिक सुन्दरता में वृद्धि करते हैं। वनाच्छादित हरी-भरी भूमि नयनों को बड़ी सुहावनी प्रतीत होती है। भारतीय चिन्तन और दर्शन वनों की ही देन हैं। वन सैर-सपाटे और मनोरंजन के केन्द्र होते हैं।
⦁    वन जल के वेग को नियन्त्रित करके बाढ़ों की रोकथाम करते हैं। जिन क्षेत्रों में वन हैं वहाँ बाढ़ों का प्रकोप बहुत कम होता है।
⦁    वन मिट्टी के कटाव को रोकते हैं, क्योंकि वृक्षों के कारण पवन एवं जल अपना कटाव-कार्य नहीं कर पाते; क्योंकि वृक्षों की जड़े भूमि को जकड़ लेती हैं तथा अपरदन के कारकों की गति पर नियन्त्रण करती हैं।
⦁    वन वायुमण्डल प्रदूषण को रोकते हैं। वृक्ष कार्बन डाइऑक्साइड को ऑक्सीजन में बदलकर वायुमण्डल की गैसों का सन्तुलन ठीक रखते हैं, तापमान को सन्तुलित बनाये रखते हैं तथा वायुमण्डल की शुष्कता को कम करते हैं।
⦁    वन कृषि के क्षेत्र में अनेक प्रकार से सहायता करते हैं। ये कृषि के लिए उपजाऊ क्षेत्र, खाद, कृषि-यन्त्र बनाने के लिए काष्ठ, पशुओं के लिए चारा तथा भूमि-संरक्षण जैसी सुविधाएँ प्रदान करते हैं।
वनों के उपर्युक्त महत्त्व को देखते हुए वनों को राष्ट्रीय निधि अथवा हरा सोना भी कहते हैं।
पं० जवाहरलाल नेहरू के शब्दों में, “उगता हुआ वृक्ष प्रगतिशील राष्ट्र का प्रतीक है।” वन राष्ट्र की अमूल्य निधि हैं। वन मनुष्य को उसकी प्राथमिक आवश्यकता की पूर्ति कराते हैं। वन राष्ट्र की समृद्धि की नींव तथा राष्ट्रीय आय के प्रमुख स्रोत हैं। वनों से ढकी हरी-भरी भूमि तथा पर्वतीय ढाल रमणीक और सुरम्य प्रतीत होते हैं। प्रकृति द्वारा मानव को प्रदत्त निःशुल्क उपहारों में से वन सबसे महत्त्वपूर्ण हैं।

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