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टेलीविजन के माध्यम जो परिवर्तन होते रहे हैं, उनकी रूपरेखा प्रस्तुत करे। चर्चा करें।

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⦁    प्रायोगिक तौर पर भारत में टेलीविजन कार्यक्रमों की शुरुआत ग्रामीण विकास को संवर्द्धन प्रदान करने हेतु 1959 के प्रारंभ में ही गई थी। बाद में उपग्रह निर्देशित टेलीविजन प्रयोग (Satellite Instructions Television Experiment-Site) सीधे तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों के भारत में छः राज्यों में अगस्त 1975 से जुलाई 1976 के बीच कार्यक्रम प्रसारित करता था।

⦁    इस तरह के कार्यक्रम 2400 टी०वी० सेटों के लिए सीधे 4 घंटे प्रतिदिन कार्यक्रम प्रसारित करते थे।

⦁    1991 में भारत में केवल एक ही राज्य नियंत्रित टी०वी० चैनल दूरदर्शन था। 1998 तक लगभग 70 चैनल हो गए। 1990 के दशक के मध्य भाग से गैर सरकारी चैनलों की संख्या कई गुणा बढ़ गई है। वर्ष 2000 में जब दूरदर्शन 20 से अधिक चैनलों पर अपना कार्यक्रम प्रसारित कर रहा था, तब गैर सरकारी टेलीविजन नेटवर्कों की संख्या 40 के आसपास थी। गैर सरकारी उपग्रह टेलीविजन में हुई आश्चर्यजनक वृद्धि समकालीन भारत में हुए निर्णयात्मक विकासों में से एक है।

⦁    1991 के खाड़ी युद्ध ने (जिसने सी०एन०एन० को लोकप्रिय बनाया) और उसी वर्ष हांगकांग के हवामपोआ हचिनसन समूह द्वारा प्रारंभ किए गए स्टार टी०वी० ने भारत में गैर सरकारी उपग्रह चैनलों | के आगमन का संकेत दे दिया था। 1992 में, हिंदी आधारित उपग्रह मनोरंजक चैनल जी०टी०बी ने भारत में केबल टेलीविजन को अपना कार्यक्रम देना शुरू कर दिया था। वर्ष 2000 तक भारत में 40 गैर सरकारी केबल और उपग्रह चैनल उपलब्ध हो चुके थे। इनमें से कुछ ऐसे भी थे, जो केवल क्षेत्रीय भाषाओं के प्रसारण पर ही केंद्रित थे- जैसे, सन टी.वी. ईनाडु टी.वी., उदय टी.वी, राज टी.वी
और एशिया नेट।

⦁    1980 में दशक में, जहाँ दूरदर्शन तेजी से विस्तृत हो रहा था, वही केबल टेलीविजन उद्योग भी भारत के बड़े-बड़े शहरों में तेजी से पनप रहा था। वी०सी०आर० ने दूरदर्शन की एकल चैनल व्यवस्था के अनेक विकल्प प्रस्तुत करके भारतीय दर्शकों के लिए मनोरंजन के विकल्पों में कई गुणा वृद्धि कर दी। निजी घरों तथा सामुदायिक बैठक कक्षों में वीडियो कार्यक्रम देखने की सुविधा में भी तेजी से वृद्धि हुई। वीडियो कार्यक्रमों में अधिकतर मनोरंजक फिल्में शामिल थीं। उद्यमी एक दिन में अनेक फिल्में दिखाने के लिए अपार्टमेंटों से तार लगाते थे। केबल आपरेटरों की संख्या में भी तेजी से वृद्धि हुई।।

⦁    स्टार टी०वी०, एम०टी०वी०, चैनल वी तथा सोनी जैसी अंतर्राष्ट्रीय टेलीविजन कंपनियों के आ जाने से कुछ लोगों को भारतीय युवाओं और भारतीय संस्कृति पर उनके संभावित प्रभाव के बारे में चिंता हुई। लेकिन अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय टेलीविजन चैनलों ने अनुसंधान के द्वारा यह जान लिया कि भारतीय दर्शकों के विविध समूहों को आकर्षित करने में चिर-परिचित कार्यक्रमों का प्रयोग ही अधिक प्रभावशाली होगा। सोनी इंटरनेशनल की प्रारंभिक रणनीति यह थी कि हर सप्ताह 10 हिंदी फिल्में प्रसारित की जाएँ और बाद में स्टेशन जब अपने हिंदी कार्यक्रम तैयार कर लें तो धीरे-धीरे इनकी संख्या घटा दी जाए। अब अधिकतर विदेशी नेटवर्को ने या तो हिंदी भाषा के कार्यक्रमों का एक हिस्सा (एम०टी०वी० इंडिया) हो गए हैं अथवा नया हिंदी चैनल (स्टार प्लस) ही शुरू कर दिया है। स्टार स्पोटर्स और ई.एस.पी.एन दोहरी कॉमेंटरी अथवा हिंदी में एक आडियो साउंड ट्रैक चलाते हैं। बड़ी कंपनियाँ जो बांगला, पंजाबी, मराठी और गुजराती जैसी भाषाओं में विशिष्ट क्षेत्रीय चैनल शुरू किए हैं।

⦁    स्टार टी.वी. का स्थानीयकरण – स्टार प्लस चैनल, जो प्रारंभ में हांगकांग से संचालित पूर्ण रूप से सामान्य मनोरंजन का अंग्रेजी चैनल था, वे अक्टूबर 1996 से सायं 7 और 9 बजे के बीच हिंदी भाषा के कार्यक्रम देने शुरू कर दिए। फरवरी, 1999 से यह पूर्ण रूप से हिंदी चैनल बन गया और सभी अंग्रेजी धारावाहिक स्टारवर्ड को, जो कि इस नेटवर्क का अंग्रेजी भाषा का एक अंतर्राष्ट्रीय चैनल है, को दे दिए गए। इन हिंदी चैनलों को प्रोत्साहित करने वाला नारा था-आपकी बोली आपका प्लसप्वाइंट। स्टार और सोनी दोनों ही संयुक्त राज्य अमेरिका के अपने कार्यक्रमों को छोटे बच्चों के लिए डब करते रहे हैं, क्योंकि उन्हें यह प्रतीत होने लगा था कि बच्चे उन विलक्षणताओं से समझने तथा स्वीकार करने लगे हैं, जो उस स्थिति में उत्पन्न होती है जब भाषा कोई अन्य हो तथा कथा परिवेश कोई अन्य।

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