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वस्तु की माँग को प्रभावित करने वाले किन्हीं तीन कारकों की व्याख्या करें।

अथवा

समझाइए कि किसी वस्तु की माँग उसकी संबंधित वस्तुओं की कीमतों से कैसे प्रभावित होती है? उदाहरण दीजिए।

अथवा

समझाइए कि उपभोक्ता की आय में वृद्धि से किसी वस्तु की माँग पर क्या प्रभाव पड़ता है? उदाहरण दीजिए।

अथवा

संबंधित वस्तुओं की कीमतें कम होने से दी गई वस्तु की माँग पर क्या प्रभाव पड़ता है? उदाहरण सहित समझाइए। 

अथवा

समझाइए कि निम्नलिखित को वस्तु की माँग पर क्या प्रभाव पड़ता है?
(i) उपभोक्ताओं की आय में वृद्धि
(ii) संबंधित वस्तुओं की कीमतों में कमी 

अथवा

निम्नलिखित के बीच संबंध की व्याख्या कीजिए।
(i) अन्य वस्तुओं की कीमत और दी हुई वस्तु की माँग
(ii) क्रेताओं की आय और वस्तु की माँग 

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मग को प्रभावित करने वाले मुख्य कारण इस प्रकार हैं

(क) वस्तु की अपनी कीमत (ऋणात्मक)- वस्तु की अपनी कीमत तथा उसकी माँगी गई मात्रा में विपरीत संबंध है। वस्तु की कीमत बढ़ने पर वस्तु की माँगी गई मात्रा में कमी आ जाती है तथा वस्तु की कीमत कम होने पर वस्तु की माँगी गई मात्रा में वृद्धि हो जाती है।
(ख) संबंधित वस्तुओं की कीमत- संबंधित वस्तुएँ दो प्रकार की हो सकती हैं।
(i) प्रतिस्थापन वस्तुएँ ( धनात्मक) वे वस्तुएँ जिन्हें एक ही इच्छा की पूर्ति के लिए एक दूसरे के स्थान पर प्रयोग किया जा सकता है वे प्रतिस्थापन वस्तुएँ कहलाती हैं। ऐसी वस्तुओं में एक वस्तु की कीमत तथा दूसरी वस्तु की मात्र में धनात्मक संबंध होता है जैसे चाय की कीमत बढ़ने पर कॉफी की माँग की मात्रा बढ़ जाती है तथा चाय की कीमत कम होने पर कॉफी की माँग की मात्रा कम हो जाती है।
(ii) पुरक वस्तुएँ (ऋणात्मक) वे वस्तुएँ जो एक ही इच्छा की पूर्ति के लिए एक साथ प्रयोग में आती हैं, पूरक वस्तुएँ कहलाती हैं। ऐसी वस्तुओं में एक वस्तु की कीमत तथा दूसरी वस्तु की मात्रा में ऋणात्मक संबंध होता है। जैसे दूध और चीनी दूध की कीमत बढ़ने पर चीनी की माँग कम हो जाती है तथा दूध की कीमत कम होने पर चीनी की माँग बढ़ जाती है।
(ग) उपभोक्ता की आय- उपभोक्ता की आय तथा माँग में संबंध वस्तु के प्रकार पर निर्भर करता है।
(i) सामान्य वस्तु ( धनात्मक) सामान्य वस्तु की स्थिति में आय बढ़ने पर उपभोक्ता उस वस्तु की माँग में वृद्धि करता है तथा आय कम होने पर माँग में कमी होती है।
(ii) निकोटि वस्तु (ऋणात्मक) निम्नकोटि की स्थिति में आय बढ़ने पर उपभोक्ता उस वस्तु की माँग में कमी करता है तथा आय कम होने पर उसे वस्तु की माँग में वृद्धि हो जाती है।
(घ) उपभोक्ता की रुचि तथा प्राथमिकता ( धनात्मक)- जिस वस्तु के प्रति उपभोक्ता की रुचि तथाप्राथमिकता अनुकूल होती है, उस वस्तु की माँग में वृद्धि होती है तथा जिस वस्तु के प्रति उपभोक्ता की रुचि तथा प्राथमिकता प्रतिकूल होती है, उस वस्तु की माँग में कमी आती है।

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