जब हम मुद्रा को सट्टा माँग के उद्देश्य से अपने पास रखते हैं तो मुद्रा को नकदी रूप में अपने पास रखने की अवसर लागत ब्याज दर है। यदि हम 5000 बैंक में रखें और यह हमें 10% प्रति वर्ष ब्याज देता है तो इस 5000 को अपने पास नकदी के रूप में रखने की अवसर लागत 500 है, परन्तु यदि ब्याज दर कम होकर 5% हो जाए तो अवसर लागत भी कम होकर ₹ 250 हो जायेगी।
अतः ब्याज की दर अधिक तो नकदी रखने की अवसर लागत अधिक और तदनुसार मुद्रा की सट्टा माँग कम होगी और विपरीत।। इसे अन्य शब्दों में भी समझा जा सकता है। एक व्यक्ति के पास दो विकल्प हैं एक वह अपने पास उपलब्ध नकद मुद्रा को बान्ड में निवेश कर दे और दूसरा वह उसे सट्टा उद्देश्य के लिए अपने पास रखे। यदि वह नकदी को सट्टा उद्देश्य के लिए अपने पास रखता है तो उसे वह आय छोड़नी होगी, जो वह इसे बॉण्ड में निवेश करके ब्याज के रूप में प्राप्त कर सकता है। इसे हम नकदी रखने की कीमत कह सकते हैं। माँग के नियम के अनुसार, कीमत बढ़ने पर माँगी गई मात्रा कम होती है तथा विपरीत अतः ब्याज दर बढ़ने पर सट्टा उद्देश्य के लिए माँगी गई मुद्रा की मात्रा में कमी होगी तथा विपरीत। अतः मुद्रा की सट्टा माँग और ब्याज दर में विपरीत संबंध है।