हाँ, राजस्व घाटे के बिना भी राजकोषीय घाटा हो सकता है।
राजकोषीय घाटा = राजस्व घाटा + {(पूँजीगत व्यय – पूँजीगत प्राप्तियाँ (ऋण के अतिरिक्त)}
अतः राजकोषीय घाटे का अनुमान सरकार की दोनों राजस्व तथा पूँजी प्राप्तियों और व्यय की गणना करके लगाया जाता है इसलिए जब राजस्व प्राप्तियाँ और राजस्व व्यय संतुलन की अवस्था में हैं तब भी पूँजी प्राप्तियों के ऊपर पूँजी व्यय का आधिक्य हो सकता है, जिसके कारण राजकोषीय घाटा हो सकता है।