द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दो महाशक्तियाँ-संयुक्त राज्य अमेरिका तथा सोवियत संघ का आविर्भाव हुआ, जो कि अलग-अलग विचारधारा वाले थे। ऐसे में किसी भी देश के लिए एकमात्र विकल्प यह था कि वह अपनी सुरक्षा के लिए किसी एक महाशक्ति के साथ जुड़ा रहे। शीतयुद्ध सीधे तौर पर शक्ति के लिए संघर्ष था इसका विचारधारा से कोई सम्बन्ध नहीं था, इस बात से पूरी तरह सहमत नहीं हुआ जा सकता क्योंकि विश्व के साम्यवादी विचारधारा वाले, सोवियत संघ के गुट में शामिल हुए और पश्चिमी देश जो कि पूँजीवादी विचारधारा के थे, वे संयुक्त राज्य अमेरिका के गुट में शामिल हुए। सन् 1941 में सोवियत संघ के विघटन के साथ ही शीतयुद्ध समाप्त हो गया।