(1) शीतयुद्ध के दौरान दोनों महाशक्तियों द्वारा छोटे देशों पर अपना नियन्त्रण बनाए रखने के कारण-
(2) महत्त्वपूर्ण संसधानों को हासिल करना-महाशक्तियों को छोटे देशों से तेल तथा खनिज पदार्थ इत्यादि प्राप्त होता था।
(3) भू-क्षेत्र-महाशक्तियाँ इन छोटे देशों के यहाँ अपने हथियारों की बिक्री करती थीं और इनके यहाँ अपने सैन्य अड्डे स्थापित करके सेना का संचालन करती थीं।
सैन्य ठिकाने-छोटे देशों में अपने सैन्य ठिकाने बनाकर दोनों महाशक्तियाँ एक-दूसरे गुट की जासूसी करती थीं।
(4) छोटे देश विचारधारा की वजह से भी महाशक्तियों के लिए महत्त्वपूर्ण थे। गुटों में सम्मिलित देशों की निष्ठा से यह संकेत मिलता था कि महाशक्तियाँ विचारों का पारस्परिक युद्ध भी जीत रही हैं। गुटों में सम्मिलित हो रहे देशों के आधार पर वे सोच सकती थीं कि उदारवादी लोकतन्त्र तथा पूँजीवाद, समाजवाद एवं साम्यवाद से अधिक श्रेष्ठ है अथवा समाजवाद एवं साम्यवाद, उदारवादी लोकतन्त्र तथा पूँजीवाद की अपेक्षा बेहतर है।