नगरीय बस्तियों के प्रकार नगरीय बस्तियों के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं
1. नगर – नगर की संकल्पना को गाँव के सन्दर्भ में आसानी से समझा जा सकता है। नगर और गाँव को अलग करने के लिए न तो हमेशा जनसंख्या का आकार ही अकेला मापदण्ड होता है और न ही नगरों और गाँवों के कार्यों की विषमता सदैव स्पष्ट होती है। नगर गाँव से बड़ी एक ऐसी संहत बस्ती होती है जिसमें जन-समुदाय नगरीय जीवन व्यतीत करता है।
2. शहर — किसी प्रदेश के अनेक नगरों में से अग्रणी नगर को शहर कहा जाता है। स्पष्ट है कि कोई भी नगर तभी शहर का दर्जा प्राप्त करता है जब वह स्थानीय और प्रादेशिक स्तर पर अपने प्रतिस्पर्धी अनेक नगरों को पछाड़ देता है। शहर न केवल नगरों से आकार और जनसंख्या में बड़े होते हैं, बल्कि उनके आर्थिक कार्य भी अधिक और जटिल होते हैं।
3. मिलियन सिटी — विश्व में दस लाख की जनसंख्या वाले शहरों की संख्या निरन्तर बढ़ रही है। सन् 1950 तक विश्व में मिलियन सिटी कहे जाने वाले शहरों की संख्या 80 थी। इसके बाद लगभग हर 30 साल बाद दस लाख की जनसंख्या वाले शहरों की संख्या तीन गुनी हो गई।
4. सन्नगर – ‘सन्नगर’ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग पैट्रिक गिडिज ने सन् 1915 में किया था। सन्नगर विशाल और सतत नगरीय क्षेत्र होता है जो अलग-अलग नगरों या शहरों के आपस में मिल जाने से बनता है। . आर्थिक विकास और जनसंख्या प्रसार के परिणामस्वरूप किसी नगर के आसन्न नगरों का सम्मिलन ‘सन्नगर’ कहलाता है। मानचेस्टर, ग्रेटर लन्दन, शिकागो, टोकियो एवं ग्रेटर मुम्बई सन्नगर के उदाहरण हैं।
5. विश्वनगरी ( मेगापोलिस) – यह यूनानी शब्द ‘मेगालोपोलिस’ से बना है जिसका अर्थ होता है’विशाल नगर’। मेगा सिटी’ शब्दावली का प्रयोग सर्वप्रथम जीन गौटमैन ने उस आबाद क्षेत्र के लिए किया था जो इस समय दक्षिणी हैम्पशायर से उत्तरी वर्जीनिया तक फैला हुआ है। यह एक बड़ा महासागरीय प्रदेश होता है जिससे सन्नगरों का समूह और जनसंख्या का सतत विस्तार पाया जाता है।