Use app×
Join Bloom Tuition
One on One Online Tuition
JEE MAIN 2025 Foundation Course
NEET 2025 Foundation Course
CLASS 12 FOUNDATION COURSE
CLASS 10 FOUNDATION COURSE
CLASS 9 FOUNDATION COURSE
CLASS 8 FOUNDATION COURSE
0 votes
8.0k views
in Civics by (48.0k points)
closed by

“अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।” इस कथन को सिद्ध कीजिए। 

या

अधिकार और कर्तव्यों के बीच सम्बन्ध स्थापित कीजिए।

या

अधिकार और कर्त्तव्य एक-दूसरे के पूरक हैं।” इस कथन की व्याख्या कीजिए। 

1 Answer

+1 vote
by (54.2k points)
selected by
 
Best answer

अधिकार और कर्तव्यों का सम्बन्ध
अधिकार और कर्तव्य दोनों ही सार्वजनिक जीवन के प्रमुख पक्ष हैं। अधिकारों का महत्त्व कर्तव्य के संसार में ही है। अधिकार और कर्तव्य पर बल देते हुए कहा गया है कि दोनों ही सामाजिक हैं और दोनों ही सफल जीवन की शर्ते हैं, जो समाज के सभी व्यक्तियों को प्राप्त होनी चाहिए। अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।”
एक के समाप्त होते ही दूसरा स्वयं समाप्त हो जाता है, दोनों एक साथ चलते हैं। इसमें से कोई भी एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकता। अधिकार और कर्तव्यों के सम्बन्ध का विवरण निम्नलिखित है-

1. अधिकारों के अस्तित्व के लिए कर्तव्यों का होना अनिवार्य है- अधिकारों का अस्तित्व कर्तव्यों पर निर्भर होता है। अधिकार वे माँगें हैं, जिन्हें समाज ने कर्तव्य के रूप में स्वीकार कर लिया है। किसी व्यक्ति का अधिकार तब तक अधिकार नहीं कहला सकता जब तक कि समाज उसे कर्तव्य मानकर अपनी स्वीकृति न दे दे। उदाहरणार्थ-एक व्यक्ति को यह अधिकार है कि उसका जीवन सुरक्षित रहे, तो अन्य मनुष्यों का यह कर्तव्य बन जाता है कि वे उसके जीवन पर आघात न करें। इसलिए एक विद्वान् ने कहा है कि “कर्तव्यों के संसारे में ही अधिकारों का जन्म होता है।”
2. कर्तव्य अधिकार पर अवलम्बित हैं- जिस प्रकार अपने अस्तित्व के लिए अधिकार सदैव कर्तव्यों पर निर्भर है, उसी प्रकार कर्तव्य भी अधिकारों पर निर्भर है। कर्तव्यपालने के लिए यह परमावश्यक है कि मनुष्य कर्तव्यपालने की आवश्यक क्षमता रखता हो। दूसरे शब्दों में, मनुष्य को ऐसे अधिकार प्राप्त हों जिनके द्वारा वह अपना शारीरिक, मानसिक एवं आत्मिक विकास कर सके। इस विकास के द्वारा ही वह कर्तव्यपालन के योग्य बन सकता है। यदि उसे ऐसे अधिकार प्राप्त नहीं हैं, जिनके द्वारा वह अपने को सभी दृष्टियों से योग्य बना ले तो उसमें कर्तव्यपालन की क्षमता नहीं आएगी।
3. एक व्यक्ति का अधिकार दूसरे व्यक्ति का कर्तव्य है- समाज में एक वर्ग का जो अधिकार है वही दूसरे को कर्तव्य है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति को जीवित रहने का अधिकार है तो दूसरे लोगों का यह कर्तव्य हो जाता है कि वे उन कार्यों को करें जिनसे वह व्यक्ति अपने जीवित रहने के अधिकार का उपयोग कर सके। इसलिए कहा गया है कि ‘मेरा अधिकार तुम्हारा कर्तव्य है।
4. सुखी सामाजिक जीवन के लिए दोनों आवश्यक हैं- अधिकार और कर्तव्यों का एकमात्र उद्देश्य मनुष्य के सामाजिक जीवन को सुखी बनाना है। ये दोनों व्यक्ति के बहुमुखी विकास के लिए आवश्यक हैं। दोनों के बिना व्यक्ति को शारीरिक, बौद्धिक और मानसिक विकास रुक जाएगा।
5. कर्तव्य अधिकार का सदुपयोग है- अधिकारों के सदुपयोग का दूसरा नाम कर्तव्य है। यदि एक व्यक्ति अपने अधिकारों का समुचित ढंग से पालन कर रहा है तो दूसरे रूप में वह अपने कर्तव्य की पूर्ति कर रहा है। उदाहरण के लिए, सम्पत्ति की सुरक्षा और जीविकोपार्जन हमारा अधिकार है, परन्तु हमारा यह कर्त्तव्य भी है कि हम ऐसा कोई कार्य न करें जिससे दूसरों के इस अधिकार पर कोई आघात हो।
6. अधिकार और कर्तव्य जीवन के दो पक्ष हैं- यदि अधिकार जीवन के भौतिक पक्ष का प्रतीक है तो कर्तव्य जीवन के नैतिक पक्ष का। यदि अधिकार का सम्बन्ध मनुष्य के शरीर से है। तो कर्तव्य का सम्बन्ध मनुष्य की आत्मा से। यदि अधिकार मनुष्य की भौतिक आवश्यकताओं; यथा–भोजन, वस्त्र इत्यादि की पूर्ति करता है तो कर्त्तव्य आत्मा का परिष्कार कर उसे अलौकिक आनन्द प्रदान करता है। इस प्रकार अधिकार और कर्तव्य जीवन के दो पक्ष हैं।

Related questions

Welcome to Sarthaks eConnect: A unique platform where students can interact with teachers/experts/students to get solutions to their queries. Students (upto class 10+2) preparing for All Government Exams, CBSE Board Exam, ICSE Board Exam, State Board Exam, JEE (Mains+Advance) and NEET can ask questions from any subject and get quick answers by subject teachers/ experts/mentors/students.

Categories

...