(i) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘गद्य-गरिमा’ में संकलित तथा हिन्दी के प्रसिद्ध व्यंग्यकार श्री हरिशंकर परसाई द्वारा लिखित ‘निन्दा रस’ शीर्षक व्यंग्यात्मक निबन्ध से अवतरित है।
अथवा
पाठ का नाम- निन्दा रस।
लेखक का नाम-हरिशंकर परसाई।
(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या–लेखक श्री हरिशंकर परसाई जी का कहना है कि उनका निन्दक मित्र बहुत ही अद्भुत और विचित्र है जिसके पास दोषों और बुराइयों को अच्छा-खासा सूची-पत्र है। उनके सम्मुख जिस किसी की भी चर्चा छिड़ जाती वह उसी की निन्दा में चार-छ: वाक्य बोल दिया करता था। लेखक के मन में विचार आया कि क्यों न वह भी अपने कुछ-एक परिचितों की जो उसके विरोधी हैं, की निन्दा उसके माध्यम से करवा ले।
(iii) लेखक ने निन्दक का उदाहरण आरा मशीन से दिया है।
(iv) लेखक ने अपने विरोधियों की गत निन्दक मित्र के हाथों कराने का विचार किया।
(v) दुश्मनों को रण-क्षेत्र में एक के बाद एक कटकर गिरते हुए देखकर योद्धा को निन्दक जैसा ही सुख प्राप्त होता होगा।