दिए गए पद्यांशों को फ्ढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
बीती विभावरी जाग री ।
अम्बर-पनघट में डुबो रही-
तारा-घट ऊषा-नागरी ।
खग-कुल कुल-कुल सा बोल रहा,
किसलय को अंचल डोल रहा,
लो यह लतिका भी भर लायी—
मधु-मुकुल नवल रस-गागरी ।
अधरों में राग अमन्द पिये,
अलकों में मलयज बन्द किये–
तू अब तक सोयी है आली !
आँखों में भरे विहाग री।।
(i) उपर्युक्त पद्यांश के शीर्षक और कवि का नाम लिखिए।
(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(iii) प्रस्तुत पंक्तियों में किस समय का सुन्दर वर्णन किया गया है?
(iv) कौन आकाशरूपी पनघट पर तारारूपी घड़े को डुबो रहा है? ।
(v) ‘खग-कुल कुल-कुल सा बोल रहा’ पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?