तेरहवीं शताब्दी ई० के चीन, ईरान और पूर्वी यूरोप के शहरों के बहुत-से निवासी चंगेज खान द्वारा किए गए स्टैपी के नर-संहारों को भय और घृणा की दृष्टि से देखते थे। फिर भी मंगोलों के लिए चंगेज खान अब तक का सर्वाधिक महान् शासक था। उसने मंगोलों को एकजुट किया। लम्बे समय से चले आ रहे जनजातीय संघर्षों और चीनियों के शोषण से मुक्ति दिलवाई साथ ही उन्हें समृद्ध बनाया। एक शानदार पार महाद्वीपीय साम्राज्य गठित किया और व्यापार के रास्तों और बाजारों को खोल दिया। मंगोलों और किसी भी घुमक्कड़ शासन प्रणाली से सम्बन्धित जिस तरह के प्रलेख प्राप्त हुए हैं-उनसे यह समझना वास्तव में कठिन है कि वह कौन-सा ऐसा प्रेरणा स्रोत था जिसने व्यक्तियों के विभाजित हुए समूहों को संगठित कर साम्राज्य निर्माण की महत्त्वाकांक्षा को जाग्रत किया। मंगोल साम्राज्य के संस्थापक की प्रेरणा एक प्रभावशाली शक्ति बनी रही। चौदहवीं शताब्दी ई० के अन्त में एक अन्य राजा तैमूर, जो एक विश्वव्यापी राज्य की आकांक्षा रखता था, ने स्वयं को राजा घोषित करने में संकोच का अनुभव किया, क्योंकि वह चंगेज खान का वंशज नहीं था। जब उसने अपने स्वतन्त्र प्रभुत्व की घोषणा की तो स्वयं को चंगेज खान का दामाद बताया। वर्तमान में दो दशकों के रूसी नियन्त्रण के पश्चात् मंगोलिया एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बना चुका है। उसने चंगेज खान को एक राष्ट्र-नायक के रूप में लिया है जिसका जनता सम्मान करती है और जिसकी उपलब्धियों का वर्णन अभिमान के साथ किया जाता है। मंगोलिया के इतिहास में इस निर्णायक समय पर चंगेज खान एक बार फिर मंगोलों के लिए एक आराध्य प्रतिमा के रूप में उभरकर सामने आया है, जो महान् अतीत की स्मृतियों को जाग्रत कर राष्ट्र की पहचान बनाने की दिशा में शक्ति प्रदान करेगा।