1927 ई० में च्यांग-काई-शेक ने हैंकों पर विजय प्राप्त की और बोरोडिन (Borodin) के प्रभांव से वहाँ पर साम्यवादी ढंग की सरकार स्थापित की गई। इस प्रकार ‘कुओमीनतांग में वामपक्ष का उदय हुआ। दक्षिणपन्थी दल की दृष्टि में वह डॉ० सन यात-सेन के राष्ट्रीयता के सिद्धान्त की अपेक्षा आर्थिक समानता को अधिक महत्त्वपूर्ण समझता था। विचारों की इस भिन्नता ने धीरे-धीरे गृहयुद्ध का रूप धारण कर लिया। च्यांग ने हैंको की वामपन्थी सरकार को भंग कर दिया और उसके स्थान पर नानकिंग में राष्ट्रीय सरकार की स्थापना कर दी।
उसने व्यापारियों और पूँजीपतियों के सहयोग से, देश को साम्यवादी प्रभाव से मुक्त करने का निश्चय किया। इस कार्य में जापान ने भी सहयोग दिया साम्यवादियों ने च्यांग के साथ अनेक युद्ध किए, परन्तु अन्त में उन्हें क्वांगसी प्रान्त छोड़ने के लिए विवश होना पड़ा। च्यांग-काई शेक ने चार बार साम्यावादियों पर भारी क्रमण किए परन्तु उनकी गुरिल्ला नीति व लाल सेना के उत्साह के कारण ये आक्रमण विफल रहे। उसके पाँचवें विशाल व भयंकर आक्रमण के फलस्वरूप साम्यवादियों को क्वांगसी प्रान्त छोड़कर शैन-सी-जाने का निश्चय करना पड़ा। इस आक्रमण में चीन के अपार धन और जन की हानि हुई।