अधिकार-पत्र से आशय
जब किसी देश के नागरिकों को दिए जाने वाले अधिकारों की संवैधानिक घोषणा की जाती है अर्थात् नागरिकों के अधिकारों को संविधान में अंकित किया जाता है तो उसे ‘अधिकार पत्र’ कहते हैं। सर्वप्रथम अमेरिका के संविधान में अधिकार-पत्र की व्यवस्था की गई थी। संविधान के विभिन्न संशोधनों द्वारा नागरिकों के मौलिक अधिकारों की व्यवस्था की गई और उन्हें अधिकार-पत्र नाम दिया गया। अब अधिकतर देशों में अधिकार-पत्र की व्यवस्था है। भारत में नागरिकों के अधिकारों को अधिकार-पत्र का नाम न देकर मौलिक अधिकारों का नाम दिया गया है।
प्रत्येक देश में अधिकार-पत्र की व्यवस्था आवश्यक नहीं-यह आवश्यक नहीं है कि प्रत्येक देश में अधिकार-पत्र की व्यवस्था हो। इंग्लैण्ड के संविधान में अधिकार-पत्र की कोई व्यवस्था नहीं है। यह भी आवश्यक नहीं है कि इसकी व्यवस्था लोकतान्त्रिक देश में ही होती है। चीन में अधिकार-पत्र की व्यवस्था है। वह गणतान्त्रिक देश है।