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न्यायाधीशों की नियुक्ति के विषय में आप क्या जानते हैं?

या

उच्चतम न्यायालय के गठन पर प्रकाश डालिए।

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भारत का उच्चतम न्यायालय राजधानी दिल्ली में स्थित है। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या, उच्चतम न्यायालय का क्षेत्राधिकार, न्यायाधीशों के वेतन तथा सेवा-शर्तों को निश्चित करने का अधिकार संसद को प्रदान किया गया है। अब उच्चतम न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश तथा 30 अन्य न्यायाधीश हैं। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत का राष्ट्रपति करता है। भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के सम्बन्ध में राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय अथवा उच्च न्यायालयों के ऐसे अन्य न्यायाधीशों से परामर्श लेता है, जिनसे वह इस सम्बन्ध में परामर्श लेना आवश्यक समझता है। अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के सम्बन्ध में जुलाई 1998 ई० को राष्ट्रपति द्वारा उच्चतम न्यायालय में भेजे गए स्पष्टीकरण प्रस्ताव पर विचार करते हुए नौ-सदस्यीय खण्डपीठ ने सर्वसम्मति से निर्णय देते हुए स्पष्ट किया है कि उच्चतम न्यायालय में किसी न्यायाधीश की नियुक्ति तथा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अथवा किसी न्यायाधीश के स्थानान्तरण के विषय में अपनी संस्तुतियाँ प्रेषित करने से पूर्व उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों तथा उच्च न्यायालय में नियुक्ति करने से पूर्व दो, वरिष्ठतम न्यायाधीशों से परामर्श किया जाना आवश्यक है। यदि दो न्यायाधीश भी विपरीत राय देते हैं। तो मुख्य न्यायाधीश द्वारा सरकार को अपनी सिफारिश नहीं भेजनी चाहिए।

तदर्थ नियुक्तियाँ (ad hoc Appointments) – संविधान के अनुच्छेद 127 के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति से तदर्थ नियुक्तियाँ भी कर सकता है। ऐसे न्यायाधीशों की नियुक्तियाँ किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति हेतु की जाती हैं।

1. न्यायाधीशों की योग्यताएँ – उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के लिए निम्नलिखित योग्यताएँ होनी आवश्यक हैं –
(क) वह भारतीय नागरिक हो।
(ख) वह किसी उच्च न्यायालय में कम-से-कम पाँच वर्ष तक न्यायाधीश रह चुका हो,
अथवा 10 वर्ष तक अधिवक्ता रहा हो,
अथवा राष्ट्रपति की दृष्टि में लब्धप्रतिष्ठ विधिवेत्ता हो।
2. न्यायाधीशों का कार्यकाल तथा पदच्युति – उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक अपने पद पर कार्यरत रह सकते हैं। 65 वर्ष की आयु समाप्ति पर उन्हें सेवानिवृत्त कर दिया जाता है। यदि कोई न्यायाधीश चाहे तो इससे पूर्व भी राष्ट्रपति को त्यागपत्र देकर अपने पदभार से मुक्त हो सकता है। इसके अतिरिक्त उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को सिद्ध कदाचार या असमर्थता के आधार पर राष्ट्रपति के आदेश द्वारा उसके पद से हटाया जा सकता है। उच्चतम न्यायालय के किसी न्यायाधीश को उसके पद से हटाने के लिए समावेदन प्रत्येक सदन की कुल सदस्य संख्या के बहुमत द्वारा तथा सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के कम-से-कम दो-तिहाई बहुमत द्वारा समर्थित होना चाहिए। इसके बाद वह समावेदन राष्ट्रपति के समक्ष रखा जाएगा और उसके आदेश देने पर अमुक न्यायाधीश को उसके पद से हटा दिया जाएगा। लेकिन ऐसा समावेदन संसद के एक ही सत्र में प्रस्तावित और स्वीकृत होना चाहिए। इसी प्रक्रिया के आधार पर उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति रामास्वामी को हटाने का प्रयास संसद द्वारा किया गया था, परन्तु न्यायमूर्ति रामास्वामी ने आरोप सिद्ध होने से पूर्व ही अपना पद-त्याग कर दिया।
3. न्यायाधीशों के वेतन – 1998 ई० के एक अधिनियम द्वारा उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को ₹ 1 लाख प्रतिमाह और अन्य न्यायाधीशों को ₹ 90,000 प्रतिमाह वेतन निर्धारित किया गया है तथा इसके साथ-साथ उन्हें नि:शुल्क आवास, सवेतन छुट्टियाँ तथा सेवानिवृत्ति प्राप्त करने पर पेंशन आदि की व्यवस्था की गई है।

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