हिंसा का शिकार व्यक्ति जिन मनोवैज्ञानिक और भौतिक हानियों से गुजरता है वे उसके भीतर शिकायतें उत्पन्न करती हैं। ये शिकायतें पीढ़ियों तक बनी रहती हैं। ऐसे समूह कभी-कभी किसी घटना अथवा टिप्पणी से उत्तेजित होकर संघर्ष (हिंसा) शुरू कर देते हैं। दक्षिण एशिया में विभिन्न समुदायों द्वारा एक-दूसरे के विरुद्ध मन में रखी पुरानी शिकायतों के उदाहरण हमारे सामने हैं, जैसे सन् 1947 में भारत के विभाजन के दौरान भड़की हिंसा से पैदा हुई शिकायते।
न्यायपूर्ण और टिकाऊ शांति अप्रकट शिकायतें और संघर्ष के कारणों को साफ-साफ व्यक्त करने और बातचीत द्वारा हल करने के माध्यम से ही प्राप्त की जा सकती हैं। इसलिए भारत और पाकिस्तान के बीच समस्याओं का हल करने के वर्तमान प्रयासों में प्रत्येक वर्ग के लोगों के बीच अधिक सम्पर्क को प्रोत्साहित करना भी शामिल है।