विकास की प्रक्रिया ने जिन नए अधिकारों के दावों को जन्म दिया है, उनमें प्रमुख हैं-
1. आजीविका के अधिकार का दावा – विकास की कीमत अत्यन्त दरिद्रों और आबादी के असुरक्षित भाग को चुकानी पड़ती है। चाहे यह कीमत पारिस्थितिकी तन्त्र में नुकसान के कारण हो या विस्थापन के समय आजीविका खाने के कारण। लोकतन्त्र में लोगों को यह अधिकार है। कि वे सरकार के सामने आजीविका के अधिकार की माँग कर सकते हैं।
2. नैसर्गिक संसाधनों पर अधिकार का दावा – आदिवासी और आदिम समुदाय जिनका पर्यावरण से गहन संबंध होता है नैसर्गिक संसाधनों के उपयोग के परम्परागत अधिकारों का दावा करने लगे हैं।